ज्ञानकोश भाग - १ | Gyan Kosh Bhag- 1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अकबर मदनगर शहर अकबरके हाथ झ्ागया । फिर भी वह बहमदनगरका सारा राज्य न ले सका । नेक राजनीतिज्ञोने निजामशाहीका तख्त दूसरा जगह ले जाकर वहाँ कुछ दिनों तक राज्य किया । तत्पश्चात्‌ झकबरने सारा खानदेश अपने झधि- कारमें कर लिया । उसने बरार और खानदेश का शासन-प्रबंघ अपने चोथे लड़के दानियालकों सौंपा । इसके बाद सन १६०१ ई० में वह शआगरे को लौट झाया | शकबर का अन्तिम काल अत्यन्त कष्टके साथ बीता । उसके संबंघियोंमें से तथा मित्र मंडली में से बदुतसे लोग एक-एक करके मर गये जिससे उसे बहुत दुःख छुआ । खलीमने भी उसे दुःख दिया। चह विद्रोही शरीर क्रोघी था । फंजी सलीमका शिक्षक था परन्तु उन दानोम बनती नथी। सलीम दुए प्रकतिका मनुप्य था । चह ब्पनी दादीका भी झपमान करता था । इलाहा- बादमें सलीमने अपने बापके नियुक्त किये छुप कमंचारियोंको निकांल कर झपने कृपापातो को नियुक्त किया । इसके सिवा वह बिहारपान्तकी वसूलीका रुपया अपने पास रख कर वहां स्वतंत्र रूपसे शासन करने लगा था। इसके बाद जब झ्वुल फ़जल दक्षिणुकी लड़ाइसे लोट रहा था उसने छाकि राजासे उसका खून करवा डाला । इस मयंकर अपराघके लिये भी अझकबरने सलोमकों कठिन सजा न दी । इससे इतिहासवेत्ता अनुमान लगाते हैं कि झकबरका हृदय अत्यन्त ढुबल होगया था। परन्तु मालिसनका कहना है कि श्कबरकों अन्त तक यह मालूम न डुआ कि अवुलफ़जलक खूनमें सलीमका भी हाथ था श्रकबरको लड़कासे कुछ भी सुख न मिला । प्रथमत उसे दो जोड़वां पुत्र हुए परन्तु चे बचपन ही में मर गये । उसका तीसरा लड़का सलीम चौथा दानियाल और पांचवाँ मुराद था । इनमेंसे दानियाल बुद्धिमान था और हिन्दीमें कवितायें भी किया करता था । ध्पने दो भाइयाकी तरह वह भी शराबी था । थोड़ेही दिन पहित दक्षिणकी लड़ाइमें जालनामें मुरादकी स्त्यु इुइ । सन १६०५ इं० में झकबरका प्यारा बेटा दानियाल भी इसी कारण मर गया । इसपर श्रकबर पागलसा होगया और बुरी तरह बीमार पड़ गया । शीघ्रही १५ झक्तूबर सन्‌ १६०५. इ० को झागरेमें झाकबरकी . सत्यु हो गई । जिस समय चह बीमार था उसी समयसे राजगद्दीके लिये ऋगड़े होने लगे । किन्तु घन्तमें झकबरने निश्चित किया कि सलीमही गद्दी ज्ञानकोश आर ६ तनमन अकबर पलमयमासनसॉव्सलेगायगामतमतािगमकेसमसकपिफसैफेसलसससनेनकरकशललपतफेलगलशप्गमसससंतरसकाभेनिललनरेसलमावननदममभसततराललरलललतरमशलरल सततरतरकतसेसरगतसततमततरततताभकसलककनकल पर लेठे । शकबर घमके संबन्धम बढुतही उदार था तथापि सत्यक समय उसने इस्लाम मकी व्याज्ञाञओं का पालन क्रिया । मोलवीका चुलाकर उससे कलमा पढ़चाया श्रोर उसके साथ साथ स्वयं भी पढ़ा स्वसाव-वर्णन--श्कबरका शंगीर मोटा शोर रंग गोरा था। उसका ललाथ चोड़ा तथा चेहरा तेजस्वी था । वह सादगीसे रहता था घोर प्रत्येक काम नियमपूवक करता था । चह सदा किसी किसी काममें लगा रहता था ।. वह बहुत क्रम सोता था । झकबर बाल्यावचस्थाम बहुत ग्वाता था परंतु घीरे घीरे चह बरहुतही मिताहारी यन गया। व््रचलफजलका कहना हैं कि चह एकही वक्त खाना खाता था घोर उसका ध्यान पदार्थाकी श्रार नहीं ता था । शाखिर में उसने मांस ग्वाना भी छोड़ दिया । चह बहुघा उपवास भी करता था । कभी कभी चह मद. शफीम शोग गांजेंका सेचन भी करता था । शाकब्र बड़ा सहनशील था आग साथ ही उसे सतत परिश्रम करनेकी श्रादत थी । क्रहते हें कि वह घोटेपर चोबीस खरा २४० मीलकी दरी तय करता था । मदान खेल उसे बहुत श्च्छु लगते थे। शिकारमें उसे बड़ा शानन्द मिलता था । उसने अपनी बन्द्कोक् भिन्न भिन्न नाम रफ्ख थे और यह निश्चित कर रकखा था क्रिसका उप- योग कब करना चाहिये । वह बड़ा प्रतिभाशाली था झोर उसे यांजिक कला बहुत अच्छी लगती थी | उसने अपनी बुद्धिसे बहुतसी युक्तियाँ निकाली थीं। चह नये प्रयाग तथा नये नय पदाथ तयार करना चाहता था । फिर भी यह बात नहीं हैं कि _ उसके सभी प्रयोग बुद्धिमतापूण हुआ करते थे । उसने यह बात देखनेकें लिय कि. मनुष्यका खभाविक घर्म कौनसा हैं कुछ नन्दद-नन्हें बद्याकों पक-साथ बंद कर रक्खा शोर एसी व्यवस्था कर दी कि कोई उनसे बालन न पाच ।. जब चार वर्ष बाद बच्च बाहर निकाल गए तो माोलूम इद्मा कि वे गंगे होगय । उसने गंगाक उद्गम का पता लगाया । उसे निंघ्कलाका भी शक था । उसने कलाका बढ़ाया श्रार उसका बहुत कुछ सुधार कराया । कब्र को. गाने का भी शोक था । पहले पहल हिन्दुस्तानम तम्बाकू उसीके समय मं छ्यायी । उसने स्वयं भी उसका प्रयाग किया। उसने हिन्दुओंका प्रसन्न रखनेकं लिये बहुत से काम किये । हिन्दुद्ीकी उन परथाशोका जा कि. उसे अ्रच्छी नहीं जेंचीं उसने बन्द कर दिया । उसने बालविचाह पशु-यज्ष श्ादि चन्द करा दिये




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