दर्द का मलहम | Dard Ka Malham

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Dard Ka Malham by प्रकाश जैन - Prakash Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गजल-7र यैठ पर लाग बुछ वकीना में उम्र को जी गए ललोलो मे । उस मुमाफिर ने प्यास स डरवर होठ दफना दिए है टीलो मे । बहू कमत श्रादमी कब्र दर था हम जिसे दूत थे कीला मे! या खता क्सि जगह प मस्जिद है ऑआतमी इव नहीं है मीला मे 1 टाग बर लाग उस मसीहा का जाने बया ढूढत हैं कीला मे दद व-अदादा/15




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