पतझड़ | Patajhad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
45 MB
कुल पष्ठ :
223
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)फृतभादु
घसन्त नें कुता हटाकर अपनी पीठ जाना को दिखलायी !
हाथ से सहलाकर जोनाने देखा, उसकी पीठपर मार के निशान
उखड़े हुए हैं। कई जगह फूट भी गया हैं। उसके कुर्ते में जगह-
हु खून के दाग पड़ हुए हैं ।
जाना की आंखें भर आयों । चसन्त के प्रति तीज्न सहाल-
भूति से उसका हृदय भर गया । धीरे से उसने पूछा--जनतो
लुम कहाँ जाओसे चसन्त ?
“जानता नहीं हू । जहाँ प्रारष्घ ले जायगा, वहों जाऊंगा |
“फिर कब आभरे ?”'
“यह सी चहाों जानता । कह नहीं सकता कि जीवन में फिर
कभी भा सकू गा या नहीं; फिर तुमसे सेंट हो सकेगी या नहीं;
भाओ, आज तुमसे अन्तिम विदा ले लू जोनो ! फिर क्या
डागा, कौन कह सकता हू?”
पन््दद चपके वसस्त के हृदय मैं कदपनाओं का तूफान उठ
रहा था । जीवन-व्यापी वेदना की अनेक तीखी और कठोर स्सू-
लियाँ रद-रहकर उसके हृदय पर आघात कर रही थीं 1 चह
पागल-सा हा रहा था 1
घसन्त को बात सोचती हुई जोना गंभीर हो गयी । क्या
सचमुच ही बसन्त से यह आखिरी मेंट हैं ? फिर जीवन में
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