जीवन विहार | Jeevan Vihar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Jeevan Vihar by काका साहेब कालेकर - Kaka saheb kalekarश्रीपाद जोशी - Shripad Joshi

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

काका कालेलकर - Kaka Kalelkar

No Information available about काका कालेलकर - Kaka Kalelkar

Add Infomation AboutKaka Kalelkar

श्रीपाद जोशी - Shripad Joshi

No Information available about श्रीपाद जोशी - Shripad Joshi

Add Infomation AboutShripad Joshi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
गा साहित्यिक * ७ आ करता है अतनाह्ी अध्ययन जर्मन साहित्यका भी दोना जरूरी है | छेकिन झुस बारेमें हम अभी तक लापरवाह हैं । यूनिवर्सिटियो अपने पाठ्यक्रम द्वारा जितना कुछ खिलायेंगी झुतना ही खा छेनेकी हमारी शिुद्दतति अभी नहीं गयी है । और जितना खाया जाता दे झुतने का छाभम अपनी माषाकों देनेका फूज़े भी बहुत कम विद्वान अदा करते हैं । इस संबंधी अक छोटीसी घटना मुझे बहुत महत्वकी ठगी है। बम्बओी सरकार ने अेक बार वम्बओऔी यूनिवर्सिटीस पूछा था, कि ' संस्कृत के अध्ययनके लिये अगर हम काढेज खोलें तो क्या आप आस काठेजके विद्यार्थियों को यूनिवर्सिटीकी अपधियोँ देनेको तैयार हैं १” झस वक्‍त यूनिवर्सिटीमें जो चचो जिस बारें हुआ झुसमें हमारे प्रिन्सिपाल परां- जपेजीने अपनी यद्द राय जाहिर की कि ' यदि संस्कृतके साथ कुछ नहीं तो प्रीवियस ( फट भीयर आर्टेस ) जितना अंग्रेजीका ज्ञान डोगा तभी | हम आुपावि देनेका विचार करेगे ” और झुसमें भी अुन्डोने जिस बात पर जोर दिया कि ' संस्कृत सीख छेने के बाद अगर विद्यार्थी अंग्रेजी सीखने जाय तो वद्द नहीं चढेगा । अंग्रेजी विदयाके संस्कार हो जानेके बाद अगर कोओी संस्कृत सीख ले तो हमें अेतराज नहीं है।” श्ुनका विचार झुल्टा था मगर आग्रह सकारण था | हमने अपने यहाँ शिक्षा के ग्ादानमें ही अंग्रेजी के संस्कार कराके अपनी विद्याको निःसत्व और हीनश्रद्ध बना दिया है । विद्यासंस्कारका प्रारंभ अगर स्वकीय भाषा और स्वकीय संस्कृति से ही न किया जाय तो हमारे : लिये किसी थी प्रकार की झुम्माद नहीं हे । अैसा तो कुछ नहीं हैं कि जो अपना अपना धर्म छोड़ते हैं. बेदी सिफ॑ परधमंमं जाते हैं । स्वघर्म ओर स्वसाषा के संस्कारों से अगर बाल्य 'काठ वंचित रहे तो शुसके जैसी हानि दूसरी कोओ भी नहीं है ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now