विमल विभूतियाँ | Vimal Vibhutiyan
लेखक :
आचार्य श्री नेमीचन्द्र - Acharya Shri Nemichandra,
देवेन्द्र मुनि शास्त्री - Devendra Muni Shastri,
श्री पुष्कर मुनि जी महाराज - Shri Pushkar Muni Maharaj
देवेन्द्र मुनि शास्त्री - Devendra Muni Shastri,
श्री पुष्कर मुनि जी महाराज - Shri Pushkar Muni Maharaj
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
252
श्रेणी :
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आचार्य श्री नेमीचन्द्र - Acharya Shri Nemichandra
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देवेन्द्र मुनि शास्त्री - Devendra Muni Shastri
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श्री पुष्कर मुनि जी महाराज - Shri Pushkar Muni Maharaj
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)| 1
न
क्षमावीर सम्राट उदायी
दोहा
कमा का महत्व--
क्षमाघर्म की साधना- करते व्यक्ति समय ।
दाक्तिह्टीन रखते क्षमा, उसका क्या है अ्थे ? ॥।
मार सके मारे नही, उसका नाम मरदुद ।
जिसकी हो असमर्थता, उसकी कृतियां रद्द ।।
नहीं भावना भी जगे, लेने को प्रतिशोध ।
उस नर ने पाया सही, सहिष्णता का बोध ॥।
नहीं क्रोध का कर रहा, वाणी में उल्लेख ।
क्षमाघमं का पा लिया, उसने सही विवेक ॥।
सपने में भी शत्रु पर, उठा न जिसका मंग ।
चढा उसी नर पर नया, क्षमा धर्म का रंग ॥।
क्षमाशुर करते क्षमा, ओछे नर उत्पात ।
श्री हरि के उर में न कया, भ्रूगु ने मारी लात ? ॥
श्रमण वेप ले शत्रु ने, लिया पितु-प्रतिशोध ।
नूपति उदायी ने किया, किचित् सात्र न क्रोध ॥
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