विमल विभूतियाँ | Vimal Vibhutiyan

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Vimal Vibhutiyan by आचार्य श्री नेमीचन्द्र - Acharya Shri Nemichandraदेवेन्द्र मुनि शास्त्री - Devendra Muni Shastriश्री पुष्कर मुनि जी महाराज - Shri Pushkar Muni Maharaj

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देवेन्द्र मुनि शास्त्री - Devendra Muni Shastri

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श्री पुष्कर मुनि जी महाराज - Shri Pushkar Muni Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| 1 न क्षमावीर सम्राट उदायी दोहा कमा का महत्व-- क्षमाघर्म की साधना- करते व्यक्ति समय । दाक्तिह्टीन रखते क्षमा, उसका क्या है अ्थे ? ॥। मार सके मारे नही, उसका नाम मरदुद । जिसकी हो असमर्थता, उसकी कृतियां रद्द ।। नहीं भावना भी जगे, लेने को प्रतिशोध । उस नर ने पाया सही, सहिष्णता का बोध ॥। नहीं क्रोध का कर रहा, वाणी में उल्लेख । क्षमाघमं का पा लिया, उसने सही विवेक ॥। सपने में भी शत्रु पर, उठा न जिसका मंग । चढा उसी नर पर नया, क्षमा धर्म का रंग ॥। क्षमाशुर करते क्षमा, ओछे नर उत्पात । श्री हरि के उर में न कया, भ्रूगु ने मारी लात ? ॥ श्रमण वेप ले शत्रु ने, लिया पितु-प्रतिशोध । नूपति उदायी ने किया, किचित्‌ सात्र न क्रोध ॥




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