मिना | Mina

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Mina by डॉ मंगलदेव शास्त्री - Dr Mangal Shashtri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ७. ]) इन्हीं दिनो लेसिंग कुछ नाटकों की रूपरेखा तैयार करन में और उन्हें पृणरूप देने से भो परिश्रम करता रहा था । इस समय के पूरे लिखे हुए उसके नाटकों में से कुछ के नाम दम नीचे देते हैं । ( ₹) यहूदी” (016 तुणठ७ा 2 । इस नाटक मे यहूदियों के विरुद्ध जो लोकमत था उसे दूर करने का प्रयल्न किया दे | (२) 'स्वतन्त्र-बिचारक” (067 768 । इसमें एक स्वतन्त्र विचार का मनुष्य, जिसे धर्म 'और धर्म-पुरोहितो से बड़ी घृणा थी, एक इंसाई पादरी की दया और त्याग के भावों को देखकर अपनी भूल स्तरीकार करता है । इसके अतिरिक्त, कुद ऐसे भी नाटक थे जो रूपरेखा की अवस्था मे हो रहे और कभो पृणणता को प्राप्त नही हुए । लाइष्ज्षिक को तरद बलिन में भी लेसिंग प्रसिद्ध साहित्यिक की संगति से रहता था। इस प्रकार बद्द प्रसिद्ध फ्रॉसीसी साहित्यिक वाल्टेयर ( ४0०168/6 ) से, जिसका उन दिनों राज- दरबार से बड़ा सम्मान था, परिचित हो गया । इसके छाश्रय में लेसिंग ने अनुवाद आदि का काम भी किया ! पर दोनो में कुछ दी दिनो में बिगाइ हो गया । जैसा कि आगे चलकर स्पष्ट हो जायगा, इस विरोध का लेसिंग के जीवन पर बड़ा भयानक प्रभाव पढ़ा ।




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