भूखा अंकुर | Bhookha Ankur
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
37 MB
कुल पष्ठ :
111
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सहकतो दाम श्रौर भूख !
कनॉट प्लेस !
नई दिल्ली का जगमगाता स्वरगं...ाधुनिकता के
मादक रंग में सराबोर श्रामोद-प्रमोद का प्रमुख श्राकर्षण
न्द्र अपनी सम्पूरणं आभा के साथ जगमगा रहा था । ऊपर
प्रासमान पर भूरे बादलों में धूमिल-धुमिल टिमटिमाते तारे
छिटके हुए थे । रह-रह कर बादलों में बिजली कौंध रही
थी । वातावरण काफ़ी ठंड लिए हुए था.. ठंड जो गर्मी
पर विजय पाने का जेसे डंका पीट रही हो ।
भ्ंघेरे में, चमेली के फूलों से भरी एक
त्रिकोशाकार क्यारी के साथ पड़ी हरे रंग की बैच पर
मैं पाक के एक भाग में बंठा हुमा था । बैस, ऐसे ही
बठा था, कह लो--बेकार ।
पीछे पग-ध्वनि सुनाई पड़ी । घूम कर देखने को मन
. हुआ, पर बैठा रहा । ठीक मेरे पीछे कोई श्राकर रुका ।
ग्राहिस्ता से दो बाजु बैंच पर टिके। तब साड़ी की सर-
सराहट ! मैं कुछ घबराया । पलट कर देखना ही
चाहता था कि फिर रुक गया । एक शभ्रजीब सी महक से
मैं भ्रन्दर-बाहर सुवासित हो उठा । मैं कुछ कहूँ, श्रपनी
महकती शाम श्रौर भूख !.............. ।. ४७.
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