जैन - बौद्ध तत्वज्ञान भाग - 2 | Jain - Bhauddh Tatvagyan Bhag - 2

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Jain - Bhauddh Tatvagyan Bhag - 2  by ब्रह्मचारी सीतलप्रसाद जी - Brahmchari Seetalprasad Ji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(२५ ) हिसारमें बा० महावीरमसादजी वकील एक -उत्साही और, सफर कार्यकर्ता हैं । हिसारकी जेन समाजका कोई भी कार्य आपकी सम्मतिके विना नहीं होता । भजेन समाजमें भी सापका काफी सन्मान है | इस वे स्थानीय रासलीला कमेटीने सवेसम्मततिये मापकों समापति चुंना है। शहरके प्रत्येक कार्यमें बाप काफी दिस्सा न्हेते हैं । जैन समाजके कार्योमें तो जाप खास तौरपर भाग सेते हैं । भापके विचार बढ़े उन्नन जीर धार्मिक हैं । हिसारकी जैन समाजको भापसे बढ़ीर भाशाएँ दैं, और वे कभी अवदय पुणे भी होंगी । आपनें सबसे बढ़ी वात यह है कि आपके हृदयमें सांप्रदा- यिकता नहीं है जिसके फलस्वरूप झाप प्रत्येक संप्रदायकें कार्योंनें विना किसी मेदमावके सददायता देते थी दिस्सा लेते हैं । आाप प्रतिवर्ष काफी दान भी देते रहते हैं । जैन अजैन.. सभी मकारके चंद शक्तिपूर्वक सददायता देते हैं । गतवर्ष आपने श्री ०न्र ०प्तीतकप्र- | सादजी द्वारा लिखित “मात्मोन्नति या खुदकी तरकी” नामका टेक्ट छपाकर वितरण कराया था । आओ! इस वर्ष भी एक ट्रेक्ट छपाकर वितरण किया जाजुका है । छापने करीब ३००)-४००) की जागतते अपने चाचा का० सरदारसिंदजीकी स्सतिमें ' भपादिज साश्रम ” सिरसा (दिंसार) में एक सुन्दर कमरा मी बनवाया है । भमापके दी उद्योगपते गतदप त्र०्जीके चातुर्मासके अवसरपर सिरसा (हिसार) में श्री मंदिरजीकी 'मावइ्यकता देखकर एक दि० जेन मंदिर बनानेके विपयमें विचार हुआ था, उप्त समय लापकी ही नेरणासे का० केदारनाथजी बज.न टिंारने १०००) और वा०




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