भारतीय संविधान तथा नागरिक जीवन | Bhartiya Sambidhan Tatha Nagrik Jeevan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
31.3 MB
कुल पष्ठ :
477
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about राजनारायण गुप्त - Rajnarayan Gupta
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अध्याय ? भारतीय विधान का ऐतिहासिक विकास इस्ट इन्डिया कम्पनी की स्थापना ..... भारतवर्ष में ब्रिटिश सत्ता की स्थापना का इतिहास ही इस देश में वैधानिक साधनों का विकास है । ब्रिटेन निवासी हमारे देश की अतुल धन _ संपत्ति की चर्चाओं से आकार्षित हो कर सन् १६०० ईस्वी के पहले ही भारत में आ चुके थे । वे यहाँ के नागरिकों से व्यापारिक नाता जोड़ना चाहते थे । से भारतवर्ष की अति कोमल तथा सुन्दर वस्तुओं जैसे दरेस महीन कपड़ें रत्न जवाहिसत कसीदे और जरदोसी के काम ऊनी और रेशमी वस्त्र घातु के बतन हाथी दाँत की बनी हुई वस्तुएँ इन फुछेल रंगों की सामग्री तथा इसी प्रकार की न जाने किंतनी चीजों ने . छन्दन पैरिस रोम तथा योरोपियन देशों की दूसरी राजधानियों में तहलका. मचाया हुआ था । योरोप की विभिन्न जातियाँ इन भारतीय वस्तुओं . का लेन-देन करने और मुगल सम्राटों से व्यापारिक सुविधाएँ प्राप्त करन _ . . के लिये अत्यन्त इच्छुक थीं । वह एक दूसरे के विरुद्ध आपस में लड़ती थीं और भारतीय राजाओं से प्राथ॑ना करती थीं कि उन्हीं को उनके देश से व्यापार करने की सुविधाएँ प्रदान की जायेँ । इसी उद्देश्य को सामने रखते हुए सन १६०० ई० में महारानी के काल में एक रौयल चार्टर के . आधीन ईस्ट इंडिया कम्पनी का जन्म हुआ । कम्पनी के संचालन के लिये . २ गवर्नर तथा २४ संचालक नियुक्त किये गये । इन संचालकों का चुनाव कम्पनी के हिस्सेदारों द्वारा इंगछेंड में ही किया जाता था । इस . कम्पनी को पालियामेंट द्वारा पुर्वे में व्यापार करने की आज्ञा दे दी गई ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...