प्रारम्भिक नागरिक शास्त्र भाग - 1 | Prarambhik Nagarik Shastra Bhag - 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
273
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नागरिक शास्त्र का परिचय श
मनुष्य के सारे कार्यों को एक लागरिक के रूप से बतायां जाता
है। नागरिक शास्त्र का क्षेत्र बडा फेला हुझा है श्ौर इसकी पहुँच
[ 1ए्णाएड ह से मानों सम्पूर्ण समाज झा जाता हैं । हम में से दर
एक व्यश्ति का एक परिवार है जिसमें दसारे माता, पिता, भाई,
बहिन श्रादि शामिल हें । बहुत से लोगों की एक ब्िराद्री होती है,
जिसमें उनके विवाद आदि सम्बन्ध होते है। हर एक मनुष्य किसी
गांय था नगर में रहता हैं, जहां उसके पड़ोसियों वा दूसरे लोगों से
नेक प्रकार के सम्बन्ध होते हैं । हर एफ मनुष्य का किसी धार्मिक
सम्प्रदाप | ए४118100 ] से सम्बन्ध होता दे और उसका उस
सम्प्रदाय तथा अन्य सम्प्रदायों के मानने वाज़ों से उचित ब्पयहार
रखना पढ़ता दै । इसके श्रतिरिकत हर एक मनुष्य श्रपनो जोविका
के लिए कोई न कोई व्यवसाय भी क(एता है । कोई देय है, कोई
डाक्टर दै, कोई झध्यापक दै, कोई किसान है श्रौर कोई दुकानदाए
है। दर एक सनुप्य किसी राय में रददा दे थ्तौर 'उसको सुविधादों
को भोगता है, कर देता है श्रौर उसके शासन विधान के नियमों
[ कानूनों ] का पालन करता है । वास्तव में सारे मनुष्य एक दूसरे
से श्रौर भिन्न र् संस्थात्रों से कई प्रकार से जुडे हुण हें । इन सभी
सम्बन्धों का अध्ययन करना प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य हो ज्ञाता है ।
र--नांगरिक शास्त्र के झत्र का विषय भूत वर्तमान और
भविष्य तीनों काज़ों पर आधारित है | प्रत्येक परिस्थिति का
अध्ययन तीनों कालों के सम्बन्ध से किया जाता है। एक विपय
विशेष का प्राचीन काल में क्या स्वरूप था, प्राचीन काल के अनुभव
से 'उसके श्राघुनिक सयरूप के निणुंय करने में कया सहायता मिलती
है, तथा भविष्य में उसके स्परूप को लाभदायक रूप में रखने के
लिये क्या २ उपाय सोचे ज्ञा सकते हें ? उदादरण के लिये नगरों
में स्वाह्थप, सफाई और हरिजन उप्यान के विषय को ले आए
दिया , करें कि रब्राघुनिक वे्ानिक युग सें सकाई के पुराते तरीकों.
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