राजनीति - दर्शन का इतिहास | Rajniti Darshan Ka Itihas

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Rajniti Darshan Ka Itihas by विश्वप्रकाश गुप्त - Vishwaprakash Gupt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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च् राजनीतिं दर्शन का इतिहास प्रषवा च्मपोशी के फलस्वरूप राजनीति में भाग लेने लंगते। तेकिन, सामान्य रूप से दाहों की भांति हो इन विदेशी लोगों का नगर के राजनैतित बीमन में कोई भाग नहीं था । फिर भी, ये लोग माज़ाद ये भौर उनके साथ किसी प्रकार का सामाजिक भेदभाव नहीं बर्ता जाता था। सबसे भन्त में नागरिकों का वहू थे रात हैं जो नपर-राज्य के सदस्य होते थे पौर जिस्हें उसके राजनैतिक जीदन में भाग लेने का मधिकार प्राप्त था । यह विशेषाधिकार (फएर068०) जन्म द्वारा प्राप्त होता था । युनादी अपने मातानपिता के घहर का नागणिगा रहता या । नागरिकता रा पर्ष सदस्यता होता था । इसकी धभिप्राप यह था कि नागरिक को नगर के राजनैतिक जीवन में कुछ-न-कुछ योग अदश्य देन। पढ़ता था । इस कुट-न-कुछ का मतलद यह भी हो राकता था कि यह नगर सभा मे उपस्पित होता । इस नगर सभा का महत्व इस बात पर निर्भर होता था कि नगर में कितना लोकतन्त्र है । इस कुछ-त-कुछ का यह भी म्षे हो सता थी कि नागरिक कुछ राजनैतिक पदो का पात्र होता । भरस्तू ने एस की प्रथा को ध्यान मे रखते हुए हो कहा था कि न्यायाधीश दे क्त्तव्य का पालन करने को पात्रता नार्ग एकता की सर्दश्रेष्ठ कैसौटी है । मनुष्य कई पदों के योम्यह्वे या देवल थोडे से पर्दो कै यह बात भी उस नगर में प्रचलित लोकतन्त्र की मात्रां के ऊपर निर्भर थी । तेकिर्त, भ्यान देने योग्य दात यह है कि यूनानी के लिए नागरिकता दा भर्थे सदेद यह था कि यह तगर के राजनैतिक जोवन में कुछ-न-कुछ माग भव्य ले । इस प्रकार, यह विदार नागरिवता के भाधुमिक विधार की मपेक्षा भविक पनिष्ठ ध्ौर कम कानूनी था । माजकल नागरिक का मभर्थ वह व्यदित माना जाता है जिसे कानूनी रूप से कुछ भधिवार पप्त हो । इस पिचार को यूनानी की भपेक्षा रोमन मधिक भच्छी तरह समभक सकते थे । लेटिन दब्द अत९ का कुछ म्रथ व्यक्तिगत भपिकार वा स्वामित्व भी है। इसके विपरीत यूनानी के लिए नागरिकता का मर्य स्वामित्व नहीं दह्कि सहमागिता थी, बहुत कुछ उसी प्रकार जिस प्रकार कि परिवार की रदस्यता होती है । यूनान मै राजनैतिक दर्शन पर इस तथ्य का मारी प्रभाव पढ़ा था ! इसे दृष्टि से यूनामियों के सामते मुख्य समस्या यह नहीं थी कि मनुष्य को उसके भ्रघिकार प्राप्त हो । उनर सामने मुख्य समस्या यह थी कि मवुष्य को उसके योग्य रथान प्राप्त हो दूपरे दाब्दो में यहू कहा था सबता है कि यूनानी दिदारकों को दृष्टि में राजनतिक समस्या इस बात वी खोज वरना या दि प्त्देर दर्गे को स्वस्थ समय से बा स्थान प्राप्त हो जिससे मि. सभी महत्वपूर्ण सामाजिक का सुचारु रूप से चत सकें । राजनैतिक सस्थाएँ (एणाधट्य उाडपिधिणा यूनाए के नॉगरिक-सदस्य (ला(रला प्श्यराण्टाड है धषेना राजर्मतिक कप जिन सह्यापी हारा चलाते थे, उनहा मध्ययन करने के लिए हम एयेंह का उदा-




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