निबन्ध - निचय खंड - १ | Nibhandh - Nichay Khand - 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
358
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हरिभद्रसुरिकृता स्वोपज्ञटीका सहिता १ अनेकान्तजयपताका'
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[ प्रथम भाग |
“स्वेज्षसिद्धिटीका,” पुर्वेगुरुभि: -- चिरन्तनव द्ै:,
।+ .. ८« पूर्वेसूरिभि. - पूर्वांचार्ये: सिद्धसेनदिवाकरादिभि: । ह्निन्द्यो
मार्ग. पूर्व॑गुरुभिश्व कुक्नाचार्यादिभिरस्मद्रशजे राचरित इति ॥।
,».. € स्वदयास्त्रेषु >- (सम्मत्यादिषु) ॥
,» १० निष्कलकमतय. >> बौद्धा. ॥।
+. ४रे« कुक्काचार्यादिवोदित प्रत्युक्त--निराकृतम इति.. सूक्ष्मघिया
भावनीयस् ॥।
». ८. (मू०--) उक्त च वादिमुख्येन -- मह्लवादिना सम्म (न्य) तौ--
स्व॒परेत्यादि ॥।
+» रै०४- (मू० च) उक्त च - घर्मकीतिना इति वार्तिके ॥
# ै१६- (मू०) उक्त च वादिमुख्येन, - श्रीमछवादिना सम्मती ॥।
चिशेषस्तु सर्वेज्षसिद्धिटीकातोध्वसेय: ॥ टीकायासु ॥।
+ १३४. उक्त च धघर्मेकीतिना ॥।
)+ र००- (मू०) आह च न्यायवादी -- घर्मकी्तिर्वातिके ॥।
++ २२६. (मू०) एतेन यदाह न्यायवादी -- घ्मंकीतिर्वारतिके ॥।
+ रे३४- (मू०) झ्राह च स्यायवादी - घ्मंकीतिं. ॥॥ (मू ०)-वः पूर्वाचाये:
भदन्तदिन्नप्नभ्ुतिभि, +।
+ ३३७. (मू०) यथोक्तस--भदन्तदिन्लेन ॥ (मू०) यथोक्तमु -- वाति-
कानुसारिणा शुभगुप्तेन ॥।
+# रे४७ (मू०) उक्त च न्यायवादिना -- घर्मकीतिना ॥!
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