प्रायश्चित समुच्चय | Prayashchit Samuchchiya
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
216
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
पन्नालाल सोनी -Pannalal Soni
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श्रीमदाचार्य गुरुदास - Shrimadaacharya Gurudas
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सज्ञाधिकार । ग्र
एक एक उपवासका फल होता है । “अरइत सिद्ध+ भायरिय,
उपच्काया साहू यह सीलद अत्तरोंका 'ग्ररधषत सि सा” यह
छह भरत्रोंका और 'भरइत' यह चार झत्तरोंका मन्त है ॥ १४ ॥
अकारं परमं वीज जपेद्यः दातपचकं ।
प्रोपघ॑ पाप्लयात सम्य रु शुद्धयुद्धिरतंद्ितः ॥ १९३
भ्र्थ--जो निर्मनउुद्धिगारी पुरुप झानसरहित होता:
हुआ परमोत्कष्ट अकार पीजान्नरको पाय सी वार अच्छी तरह
जपंता हैं वह एक उपबासका फल प्राता है । तदुक्त --
पणतीसं सोलसय छन्चउपय च बण्णवीयाईं ।
एउत्तरमदटसय साहिए प ( पे )च खमणद्धं ॥
झर्थ-एक सी श्राठ वार जपा हु पेंतीस भ्रप्तरॉका जाप;
दोसी वार जपा टुभ सोलह भत्तरोंका नाप, तीन सी वार जफ
हुआ छह भत्तरोंका जाप) चार सो बार जपा हुआ चार वीजा-
त्तरोंका जाप भार पांच सी वार जपा हुआ पद--एक श्रकार
या श्रॉकार वोजालरका जाप एक उपयासके लिए दोता
है॥ १४॥
इति सशाधिफार प्रथम 0 १॥
जएनशएलकनन-
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