त्रैवर्णिकाचार | Traivarnikachar

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Traivarnikachar by पन्नालाल सोनी -Pannalal Soni

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय, जलफी मर्यादा तिलतंडुकीदकग्रहण-निषेध जहप्राशुक करंनेकी विधि भांसततके दोष शिक्षाक्षतके भेद्‌ देशावकाशिककी सीमा सामायिक ओर प्रोषध वैयावत और दानविधि : नवधा भक्ति और सात गुण ग्यारह प्रतिमा * दशन, व्रत, सामायिक ओर प्रोषध प्रतिमा सचित्तत्याग प्राति्ता प्रासुक द्ब्यका लक्षण रात्रिभुक्तित्याग प्रातिमा द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचर्य प्रातिमाका स्वरूप ब्रह्मचारीके पाँच भेंद उपनयन बह्नचारी अवलंब ब्रह्मचारी अदीक्षा बह्मचारी गृह त्रह्मचारी 'मेप्ठिक बह्मचारी सदगृहस्थ वानप्रस्थ भमिक्षकका स्वरूप आरंभत्याग प्रतिमा परिग्रहत्याग प्रतिमा बाह्याभ्यन्तर परिग्रहके भेद अनुमतित्याग प्रतिमा उद्दिह्टत्थाग प्रतिमा ' देशविरतीका विशेष कर्तव्य है व्रत सुनकर घरपर आना . बंध वर्गका सत्कार (१९ ) पुष्ठ, २०५५ 42 9 9 २९५० ३०० २8०० १२०० 22 ३०१ ३०१ ३०१ १३२०२ ३५०२ 9 ३०३ २०१३ 9) 7 । ३०४ ३०४ विषय. '.. 'पृद्ध, ग्यारहवां-अध्याय ! विवाहविधि-कथन-प्रतिज्ञा ३०८ कन्याका लक्षण ३०८ वरका रक्षण रे वरके गुण आयुपरीक्षण ३०९, शुभलक्षणवाल्ी कन्याका वरण ३०५९ अशुभलक्षणवाढी कन्याका फल गे परीक्षा करने योग्य अंग कन्याके शुभाशुमकक्षण | विवाहय्रोग्य कन्या श्र विचाह अयोग्य कन्या «... १९१ विवाहके पांच अग ' २१३ वागूदान ४; ११४ प्रदान ११४ ब्रण श्श्ष पाणिपीडन 9 सप्तंपदी /.. ३११६ ग्रहयज्ञ और अंकुरारोपणविधि.... ११६ बर कर्तव्य ; ». ११७ वरका वधूके घरपर गमन.., ११७ विवाहके आठ भेद्‌ ही 9३ ब्राह्नय विवाह ' 39१ देवविवाह ' 3११८ आप-विवाह ओर प्राजापत्य-विवाह » आहर विवाह ओर गांधष विवाह पर राक्षस विवाह और पैशाच विवाह ३१९ उपवासपूर्वक कन्यादान - म्तान्तर न्‍ गांधर्व और आसुर विवाहमें विशेष विधि + कन्याके बांधव ३१९ कन्याका अधिकार न्‍ जे * विवाह कर्म '. ३२० वरपूजन और वधृपुजन ३२२५




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