स्वर्ग और पृथ्वी | Swarg Aur Prathvi

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Swarg Aur Prathvi  by धर्मवीर भारती - Dharmvir Bharati

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अपनी बात ये कहा नियाँ लगभग तीन वर्ष पूवं ही आपके पास आ जानी चाहिए थीं किन्तु दो वर्ष तक मेरे आलमस्य के कारण झौर उसके बाद मेरे प्रकाशक मित्र केडियाजी की कुछ गम्भीर कठिनाइयों से यह संग्रह पड़ा रह गया । मेरी यह इच्छा अवश्य थी झौर दादा पं० माखनलाल चतुर्वेदी का यह आश्वासन भी था कि इसका परिचय वे ही लिखेंगे पर उनकी बीमारी के कारण यह भार अपने कवि-सित्र गिरिधरजी को सॉंपना पड़ा । साहित्य-पथ की दिशाओं में यद्यपि हम दोनों में दो घुवों का अन्तर है किन्तु फिर भी न जाने क्यों वे मेरे अत्यन्त निकट हैं। हाँ अपने चरम कवि-स्वभाव के बाव- जूद उन्होंने यह काम पूरा कर दिया यह मेरा सौभाग्य है । इसके मुखप्रष्ठ के लिए एक बने-बनाए चित्र को अस्वीक्ृत कर मेरे प्रतिभाशाली चित्रकार मित्र जगदीश ने रातॉंरात दूसरा चित्र बना डाला जिसमें जितनी कला है उतना ही स्नेह । मु सन्तोष है कि इस कृति ने प्रकाशन के पहले ही इतना स्नेह पाया है आर उसके लिए तो क्या कहूँ जिसके प्यार और रूप का जादू इन कद्दानियों की साँस साँस में बसा हुआ है । गाँधी-जयन्ती -भारती दो अक्टूबर ४९




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