हमारे गाँव और किसान | Hamare Gaon or Kisan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
196
श्रेणी :
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कृष्ण चंदर - Krishna Chandar
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मुखत्यार सिंह - Mukhatyar Singh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विपय-प्रवेश श्
लिए चहाँ नालियाँ नद्दीं होतीं । सारा गन्दा पानी गलियों सें फेल
जाता हूं ओर जमीन में रिसता रहता है । घरों के पास दी ओर
कभी-कभी घरों के सहस खाद के ढेर लगा दिये जाते हूँ । गाँघ
नजदीक ही गन्दे पानी के कुछ जोहड़ होते हैं । उनमें लाखों
सच्छर सिवमिनातें और वीमारियाँ फेलाते रहते हैं। पानी पास
होने की चजहद से लोग इन्हीं जोदड़ों के किनारे टट्टी बेठते हैं ओर
इस गन्दी आदत के कारण पानी और सी खतरनाक दो जाता
हैं । यदद सब मैंला बरसात में चहकर जोदड़ों में चला जाता है |
सूअर भी इन्हीं जोड़ों सें लेटते हैं । यही पानी मचेशी पीते हैं
्ौर शायद यही कारण है कि गाँधों में मवेशियों की वीसारियाँ
ज्यादा फेलती हैं । गाँव का धघोवी भी इन्हीं जोहड़ों में सच कपड़े
थोता हूं और बहुत दफा आदमसी भी इन्दींसें नहा लेते हूं । जिन
घरों ओर परिस्थितियों सें अंग्रेज अपने सुर भी रखना
पसन्द सहीं करता, उनमें हमारे देहाती भाइ रदते हैं
भारतीय स्त्रियों का गहने का शॉक बहुत प्रसिद्ध दे । कुछ
गहनों का पहनना तो चिवाहित स्त्रियों के लिए लाज़िसी समभा
जाता हूं ; लेक्नि वें भी देहाती स्त्रियों को नहीं सिलतें । देहात के
सम्पन्न घसें में भी नथ के सिवा कोइ सोने का गहना शायद ही
कहीं दीखता है । रारीव स्त्रियों को तो काँसें या गिलट के गहनों
पर ही संतोप करना पड़ता हैं, ओर चहुत-सी स्त्रियों को तो वे
भी नसीब नहीं होते । सिट्टी के बर्तन हरेक घर में होते हैं । जो
लोग पीतल के चतन खरीद सकते हैं, वे बहुत खशहाल समझे
जाते है । आटा पीसने के लिए हरेक घर में एक चकफ्ी अक्सर
होती दे । एक देहाती की कुल सम्पत्ति के लाम पर एक या दो
चल, कुछ सस्तनस खता के अज्ञार चार कुछ घरलू चना के
सिवा आप कुछ न देखेंगे ।
बंगाल को छोड़कर सभी देहातों के किसान ज्यादातर
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