राम - वर्षा भाग - १-२ | Ram Versha Bhag I - Ii

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Ram Versha Bhag I - Ii by स्वामी रामतीर्थ - Swami Ramtirth

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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९ | ई . १०१ ०९ १०३ १०४ _ श्०्श्‌ श्०६ श्०७ ्‌ पद श्०९, १० १११ श्र २३ श्श्छे शर्ट शरद श१७ र्र्द श्१्९, श्श्० श्शर श्९२ ” रुरे३े विषय सूची - ( ७९ अब मैं कौन उपाय कह .... दर. प० बिरथा कहूँ कौन स्यों मन की न. दी ८१ मन रे कौन कुमति तै' छोनी ' ,.... द७ पर माई | मैं सन को मान व्यागयों.. .... ... ८८ ८२ सब कुछ जीवत का व्यचदार «न. देद् पं रे मन ! राम स्यों कर प्रीत ,०.. दे ्श बसुर्य कं १ प्रीतम जान लियो सन मा दि ब००. ऐ9 २ जगत में झूठी देखी प्रीत स्स्त सं ३ साधा ! रचना राम रचाई ९ ४ जग में कोई नहीं जिन्द मेरिये ! हरि बिना ... ९२ ५ यद्द जग स्वपना है रजनी का श्या के मेरा मेरारे [९३ ६ तू खुश कर नींद क्यों साया «न. ९७ ७ ऐये रहना नाहि मत खरमस्तियां करओ . ... ९४ ८ घन जन पावन संग न जाय प्यारे, यद सब पीछे ९५ ९ इस तन चना प्यारे | कि डेप जंगछ मेंसऊना ... ९६ १० कोई दुमदा इदां गुज़ारा रे? तुम किस परपाँव ९७ ११ ज़रा टुक् साच ऐ ग्राफ़ित्त ! कि दम का कया. ९८ « रैरे सान मन ! क्यों अमिमान करे न. था १३ मना ! त॑ ने राम न.ज्ञात्या रे भर. से १४ दिलाग्राफिल नही यकद्म कि दुन्या छे।ड़ जाना है १०० १४ चपल मन ! मान कही मेरी,न कर हरि घितन में देरी १०१ १६ दुन्यों के जंगछों में है यदद दिल भटक रद... १०१ '१७ चंचर मन निश दिन भटकत है न, रैक १८ मजन बिना चूथा जन्म गये... ««. १०३ १९ मेरो मन रे मज हे कृण्ण मुरारी «-«, है०४




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