राम - वर्षा भाग - १-२ | Ram Versha Bhag I - Ii
श्रेणी : पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज़ :
13 MB
कुल पृष्ठ :
552
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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१ प्रीतम जान लियो सन मा दि ब००. ऐ9
२ जगत में झूठी देखी प्रीत स्स्त सं
३ साधा ! रचना राम रचाई ९४ जग में कोई नहीं जिन्द मेरिये ! हरि बिना ... ९२
५ यद्द जग स्वपना है रजनी का श्या के मेरा मेरारे [९३
६ तू खुश कर नींद क्यों साया «न. ९७
७ ऐये रहना नाहि मत खरमस्तियां करओ . ... ९४
८ घन जन पावन संग न जाय प्यारे, यद सब पीछे ९५
९ इस तन चना प्यारे | कि डेप जंगछ मेंसऊना ... ९६
१० कोई दुमदा इदां गुज़ारा रे? तुम किस परपाँव ९७
११ ज़रा टुक् साच ऐ ग्राफ़ित्त ! कि दम का कया. ९८« रैरे सान मन ! क्यों अमिमान करे न. था१३ मना ! त॑ ने राम न.ज्ञात्या रे भर. से
१४ दिलाग्राफिल नही यकद्म कि दुन्या छे।ड़ जाना है १००
१४ चपल मन ! मान कही मेरी,न कर हरि घितन में देरी १०१
१६ दुन्यों के जंगछों में है यदद दिल भटक रद... १०१'१७ चंचर मन निश दिन भटकत है न, रैक१८ मजन बिना चूथा जन्म गये... ««. १०३
१९ मेरो मन रे मज हे कृण्ण मुरारी «-«, है०४
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