बिहारी : एक अध्ययन | Bihari : Ek Adhyayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१० बिहारी : एक अध्ययन उाश्रयदाताओं के यहाँ आने-जाने लगे। सं० १६६१-४२ में मेर में वार्पिक वृत्ति लेने के लिए गये तो वहाँ महाराज जय- सिंह को नवविवाहिता पत्नी के प्रेम में मुग्ध पाया । वहीं उन्होंने अपना प्रसिद्ध दोहा लिखा (नहिं पराणु ३८) । इस प्रसंग के बाद बिहारी आमेर दरबार के राजकवि होकर वहीं बस गये ।




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