भारतीय नागरिता की भूमिका | Bharatiya Nagrikta Ki Bhoomika

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Bharatiya Nagrikta Ki Bhoomika by कन्हैयालाल वर्मा - Kanhaiyalal Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ ९ ई--( १) उत्तर का पहाड़ी प्रदेश, जिसमें मूठ हिमालय पर्वत-श्रेणी तथा आसाम और काइमीर तक विस्तृत उसकी शाखाओं की गणना है; ( २) सिंघ और गंगा का मैदान, जो इनके तथा इनकी सहायक नदियों द्वारा छायी गयी मिट्टी से बना है और जो इसके कारण अत्यंत उपजाऊ है, (३) दक्षिण का पठार । इसके उत्तर में विंध्याचल और सत्पुरा की पहाड़ियों; पूर्व में पूर्वी घाद भौर पश्चिम में पश्चिमी घाट के पहाड़ हैं । यह पठार संभवतः भारत का प्रा्वीनतम भाग है । इसके कुछ भाग तो समुद्र के घरातरू से ७००० फीट ऊँचे इ और कुछ दो ही हजार फीट । चारो ओर पर्वत भ्रेणियो से घिरे होने के कारण, इस पठार के कुछ प्रदेश ऐसे हैं जहाँ पर्यात जल्वृष्ट नहीं होती, (४) समुद्र-तद के मैदान । ये पूर्व में पूर्वी घाट और परिचम में पश्चिमी घाट से समुद्र तक फैले हुए. हैं । पूर्वी समुद्र तट के मैदान की चौड़ाई पश्चिमी समुद्र तट के मैंदान की अपेक्षा अधिक है । इसमें मददानदी,' गोदावरी, कृष्णा; कावेरी आदि नदियों के मुद्दाने हैं । पश्चिमी मेदान की आौसत चौड़ाई केवल चाठीस मील है । इसे बहुत सी छोटी-छोटी नदियाँ काटती हैं। इनका पानी समुद्र में बेकार बह जाता है । जखवायु--भारत की विद्यालता तथा विभिन्‍न घरातलों के कारण देशा के विभिन्‍न भागों के जख्वायु में विभिन्‍नता है । जिन स्थानों की ऊँचाई समुद्र के घरातल से अत्यधिक है वे भ्रूमध्यररेखा के निकट होने पर भी शीत हैं और जो स्थान नीचे धरातल पर मरुस्थल के निकट हैं, वे भरूमथ्य रेखा से दूर होने पर भी उष्ण हैं । समुद्र की निकटता तथा पहाड़ों की दिशा के कारण, मारत के विभिन्न भागों में, मानसूत हवाओं द्वारा कम था अधिक पानी बरसता है । इसी जलवृष्टि पर देश की जछवायु तथा उपज निर्भर है। उपर्युक्त सब कारणों के सामूहिक परिणाम-खरूप मारत में तौन मौसम; जाड़ा, गर्मी और बरसात होते हैं । ; उपज--मारत एक कृषि-प्रधान देश है । अतएव यहाँ की अधिकांश उपज या तो प्राकृतिक बनस्पतियाँ हैं. या पहाड़ी जंगल या कृषि द्वारा उत्पन्न की गयी बनस्पतियाँ । मारतीय कृषि-उपन में घान, गेहूँ, ज्वार, जौ, मक्का, दाल, गन्ना; रूई, जूट, तंबाकू, 'वाय, कहवा, नील; तिछ्हन, मसात्म आादिं मुख्य हैं । खनिज पदार्थों में क्रोयला, मिट्टी का तेठ, लोहा, सोना, तॉँबा; मेंगानीज, अरक; ब्वांदी, संगमरमर, चूना, नमक, मणि आदि वस्तुएँ पायी जाती हैं और पशुओं में जंगली पशुन्पक्षी, पाख्तू पशु-पक्षी, साँप और मछछियाँ । उपनाऊ थूमि तथा यथेष्ठ जलदृष्टि के कारण, भारतीय कंषि में अन्य देशों की अपेक्षा कम परिश्रम




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