नागरिक शास्त्र | Naagarik Shaastr

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Naagarik Shaastr by कन्हैयालाल वर्मा - Kanhaiyalal Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पहला अध्याय नागरिक शाख्र का परिचय नागरिक--नागरिकों के भेद--अनागरिक होना--नागरिकता-- नागरिक शास्त्र नागरिक शास्त्र का क्षेत्र--नागरिक शास्त्र श्रौर श्रस्य समाज-क्वास्त्र--नागरिक शास्त्र के ज्ञान की श्रावइयकता नागरिक शब्द का झथ हो नगर अथवा शहर का निवासी । प्राचीन काल में इस शब्द का प्रयोग इसी थे में किया जाता था किंतु आजकल इसका अथे इतना संकीणे नहीं है । बतंमान राजनीति की दृष्टि से किसी देश का हर एक व्यक्ति--चाहे वद्द स्त्री हो चाहे पुरुष चाहे गाँव में रहता हो चाहे नगर में--उसका नागरिक कहा जाता हे । जो लोग किसी देश में पेदा होते हैं केवल वे ही उसके नागरिक नहीं होते दूसरे देशों में उत्पन्न लोग भी उसके नागरिक हो सकते हैं । परंतु ऐसा करने के लिए उन्हें उस देश के कुछ नियमों को पूरा करना पड़ता है । ऊपर जिस अथ में नागरिक शब्द लिया गया हो उसके विचार से हमारे देश भारतवर्ष में जिस किसी का जन्म हुआ है वह यहाँ का नागरिक है । हिंदू मुसलमान इंसाइ पारसी सिक्स सभी धर्मों के अनुयायी भारतीय नागरिक हैं । भारतीय नशिरिक होने के लिए घम संप्रदाय जाति व्यवसाय आदि सिकी




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