सुमके घर धूम | Sumke Ghar Dhoom(1988)
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
44
श्रेणी :
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No Information available about पं. रूपनारायण पाण्डेय - Pt. Roopnarayan Pandey
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सूमके घर धूम । ९
किन हप तह हा जाप « स ७ ही का हर अथवर्टिभ रन
दौलत ०--सिपाही, ओ सिपाही !
[ एक तरफसे दौलतकी लडकी और दूसरी तरफसे बिह्ारीका प्रवेश । ]
बिह्ारी--क्या है जी, क्या है ! यह गोलमाठ और गुल-गपाड़ा
कहेका है ?
दौलत ०---आ गये बिहारी ! देखो तो भाई--
स्र--'घचुप रहो ।
बिहारी--मामला कया है !
दौठत--ये लोग देखो तो--
सब--चुप रहो ।
बिह्वारी--अरे भाई मामला क्या है !
दू० असामी--जी, सेठ दौठतराम मर गये हैं ।
ती० असामी--यही सुनकर हम लोग भी आये हैं ।
दौठतरामका रूप रखकर आ गया !
दौलत ०--्लैंकिन से...
सब--चुप रहो ।
बिहारा--आ:--गेछमाठ क्यो करते हो साहब ! मैं सब ठीक
किये देता हूँ !--सेठ दौठतराम मर गये हैं !
दू० असामी--जी हाँ ।
विहारी--ठेकिन मैंने तो नहीं सुना ! ऐसा हो ही नहीं सकता !
दॉछत०--देखो तो, मैं जीता जागता--
सब---घघुप रहो ।
बिह्ारी--आ:; क्या करते हो ! तुमको ठीक मादमम है कि सेठजी।!
अन्तकाल कर गये !
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