सुमके घर धूम | Sumke Ghar Dhoom(1988)

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Sumke Ghar Dhoom(1988) by पं रूपनारायण पांडेय - Pt Roopnarayan Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सूमके घर धूम । ९ किन हप तह हा जाप « स ७ ही का हर अथवर्टिभ रन दौलत ०--सिपाही, ओ सिपाही ! [ एक तरफसे दौलतकी लडकी और दूसरी तरफसे बिह्ारीका प्रवेश । ] बिह्ारी--क्या है जी, क्या है ! यह गोलमाठ और गुल-गपाड़ा कहेका है ? दौलत ०---आ गये बिहारी ! देखो तो भाई-- स्र--'घचुप रहो । बिहारी--मामला कया है ! दौठत--ये लोग देखो तो-- सब--चुप रहो । बिह्वारी--अरे भाई मामला क्या है ! दू० असामी--जी, सेठ दौठतराम मर गये हैं । ती० असामी--यही सुनकर हम लोग भी आये हैं । दौठतरामका रूप रखकर आ गया ! दौलत ०--्लैंकिन से... सब--चुप रहो । बिहारा--आ:--गेछमाठ क्यो करते हो साहब ! मैं सब ठीक किये देता हूँ !--सेठ दौठतराम मर गये हैं ! दू० असामी--जी हाँ । विहारी--ठेकिन मैंने तो नहीं सुना ! ऐसा हो ही नहीं सकता ! दॉछत०--देखो तो, मैं जीता जागता-- सब---घघुप रहो । बिह्ारी--आ:; क्या करते हो ! तुमको ठीक मादमम है कि सेठजी।! अन्तकाल कर गये !




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