हिंदी शब्दसागर | Hindi Sabdha Sagar
लेखक :
रामचंद्र शुक्ल - Ramchandra Shukla,
रामचन्द्र वर्मा - Ramchandra Verma,
श्यामसुंदर दास - Shyam Sundar Das
रामचन्द्र वर्मा - Ramchandra Verma,
श्यामसुंदर दास - Shyam Sundar Das
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23 MB
कुल पष्ठ :
570
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
रामचंद्र शुक्ल - Ramchandra Shukla
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श्यामसुंदर दास - Shyam Sundar Das
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सरपिस
तुद पुटपाक लंक ज त रूप रतन जतन जारि कियों है सगांक
सो ।--सुख्सी 1
सरघविस-संग्रा सी० [ भं० सर्विस ] (१) नौरुरी । (२) ख़िदमत 1
सेवा ।
सरपे-संकरा पुं [ अं० सर्वे ] (१) जमीन की पैमाइश । (२) यद
सरकारी विभाग जो जमीन की पैमाइश किया फरता है 1
सरसंप्रत-संशा पुं० [ सं० 1] तिघारा थूदर । पत्रगुप्त यूक्ष ।
सरस-संग। पुं० [ सं० ] [ सी० भर्पा० सरसी ] सरोवर | ताठाव ।
सरस-बि० [ छं० ] (१) रसयुक्त ! रसीला । (१9 गीला । मीगा।
सजख । (श) मो सूसा या मुरझ्ाया न हो । इरा । ताजा 1
(४) सुंदर । मनोहर । (५) मधुर । मीठा । (६) जिसमें
भाव जगाने की धन्ति हो । भावपूर्ण । जैसे,--सरस काव्य ।
०--निज कर्रिंत केद्ि लाग न नीका ।,सरस हो अयया
अनि फीफा ।--उुख्सी । (७) छप्पय छंद के ३५ थें भेद का
नाम जिसमें ३६ गुरु, ८० खघु, कुछ 1१६ घर्ण या १५२
मागाएँ दोती हैं । (४) रसिक । सददय । भावुक 1
सरसपु-रंश सी० [ सं० सरखनो, प्रा० मरसई ] सरस्वती नदी
या डी । उ०--सरसइ धदा-विचार-प्रचाग ।--तुलसी ।
रसंक्रा खी० [ से० सरम ] (१) सरसंतता । रसपूर्णता । (२)
इरापन 1 तामापन । उ०--तिय निज दविय ज्ू छगी 'घठत
पिय ठय रेय खरीद । सूखन देति न सरसई खॉटि खॉटि
रत खोट ।--चिद्दारी ।
सं सी० [ दि० सरसों ] फछ के छोटे अंकुर या दाने जो पदजे
, दियाई पहले दें । मैसे,--भाम की सरसई 1
सरसर-वि० एंद्रा पुं० दे “सद्सर” 1
सरसठपघाँ-दि० दे० “सदस्यों ” ।
सरसना-कि मर [ स० रार्क ना (प्र्य०) |] (१) हरा होना ।
पनपना । (२) शदि को प्राप्त दोना । थदना ।
उ०-सुफल होन मन फामना समिटत पियन के ट्रद।
गुम सरसत्त यरपत हरप सुमिरत छाल मुइंद । (३)
दोधित धोना । सोहना । उ०--वारों थिटोडिये
जो मुख एंदू शमी यदद इंदु कहूँ लप सेस मैं । पेनी प्रपीन
मदद रगी उि सो परम बहूँ स्पामत केस मैं ।-ऐेणी ।
५) रमपर्र होम । (५३ भाव की उमंग से भरना 1
सरसप्तनदि [ गन हू (फ इरा सर । सो सूखा या मुरझापा
मे दा | सइर्दाता 1 (२) लीं हरियाली हो । यो पास
आप पेइ पीदों में हरा हो । रीसे,--सरसस्त मैदाग 1
सर सर रंग पुर तू सन] (१) जमीन पर रेगने का झाप्द । (२)
वापु दे प्प्ते रो उत्पन्न प्यति 1 सैरे, दया सार सर चल
रही दे ।
सदसराना-विष्स+ [ पनुन सर सर हु (% सर सर को प्रति
दोगा । (श्) दायु दा गुर भार को ध्दलि बरतें हुए बाइना।
त्रेषे
5 सरसेठना
चायु का तेजी से _चलना । सनसनाना । उ०--सरसराती
हुई हवा केे के पत्तों को दिखाती दै ।--रसायटी । (३
साँप या किसी कीड़े का रंगना ।
सरसरादट-संज्ञा सी» [ दिं० सम्प्तर न घाइद (प्रत्य०) ] (१) साँप
आदि के रेंगने से उत्पन्न ध्वनि । (९५ दारीर पर रेंगनें का
सा भनुभव 1 खुजछी । सुरसुराइड 1 (३) णयु पहने का
दाब्द
सरसरी-वि० [ फा० सरासरी ] (३) जम कर या भरी तरह नहीं ।
जल्दी में । जैसे,--सरसरी नज़र से देना । (२) 'घरते
ढंग पर । काम चलाने भर को । स्थूठ रूप से । मोटे तौर
पर । सैसे,-- भमी सरसरी तीर ये कर जाभो ।
सरसा-संक्ा सी५ [ सं० ] सफेद निसोथ । शुक्क ्रिवता ।
सरसा(-सहा खी० [ दिं० सरस नशा (फ्रय०) 1 (१% सरसता ।
(२ शोभा । सुंदरता । (३) अधिकता 1
सरसाना-कि० स० [ हिं० सरसना ] (१) रसपूर्ण करना । (२)
हरा भरा करना ।
& कि म० देन “सरसना” ।
इनक धर दोमित होना | दोमा देना । समना । उन
(क) ठै आए निन भंक में दोगा कह्दी न जाई । सिंमि जठ-
निधि की गोद में शशि शिश झम सरसाईँ ।--गोपाल ।
(व सुंदर सूपी सुगोठ रची विधि कोमछता अभि दी
सरसात है ।--इरिभीष ।
सरसाम -रंदरा पुं० [ शा० ] सप्निपात । प्रिदोप । बाई ।
सरसार|-पि० [ फा० सररार ] (१) हुआ हुआ । मप्र । (२)
गदाप । यूर । मदमस्त । (ने में)
सरसिका-रंध सी० [ में ] (१9 दिंगुपय्री । (२) छोटा ता । -
(वे यापलो 1
सरसिजनमंश पुं० [ मन ] (११ यद जो वाल में दोता हो ।
(९ मठ ।
सरतिज्ञपोनि-एदा पुं० [ से ] बसछ से उत्पन्न, धदय 1
सरसियधद-संश पुं० [ से» ] (सर में डपपघन कमल 1
स्रसी-संद्ा सी [संभ ] (10 ए्ीदा ताल । एटा सरोपर 1
सपा | (९) पुष्करणी । बावली । उ०्-रदुरा बडे
दपनहां मो । नपन सुरोंगे सदन सरसी में. 1-- पु 1
(शी पुर दे भू लिसकें प्रदेश चरण में मे, त, मे, शा, ये,
ज,र होने दें।
सरसीकनरश पुं० [९० ] सास पन्नों
सरसी यद-नंदा पुंन [ म० ] (सर में उसपर होनेपाय0 बरस 1
ररसुल गोरंटी-रंटरा सीन हू रेग« ] सरइ रुदसरदा। गत सिटी !
सरसेटना-दि+ स० [ घन ] री रोटी सुनावा । कसा 1
मय चुरा चरम | ड
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rakesh jain
at 2020-12-02 12:03:37