बिखरे चित्र | The Sketch Book

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The Sketch Book by वाशिंगटन इरविंग - Washington Irvingश्रीरामनाथ सुमन - shriramnath Suman

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रामनाथ सुमन - Ramnath Suman

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वाशिंगटन इरविंग - Washington Irving

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बिखरे चित्र कुछ अपनी बात मे होमर के साथ इस विषय से सहमत हूं कि जसे शम्बूक ( घोघा) प्रपने खोल से बाहर निकलकर दीघ्र हो मेढक बन जाता है भ्रौर श्रपने बेठने के लिए श्रासन बनाने को विवदा होता है, बेसे हो जो पर्यटक श्रपने देश से बाहर प्रयाण करता है वह शीघ्र ही ऐसे विशाल श्राकार में बदल जाता है कि उसे श्रपने ही ढंग से श्रपने भवन मे परिवतंन करने पड़ते हैं - जहां बहु श्राराम से रह सके न कि रहने के लिए विवश हो ।” -उ्लाइली का यूफएस मुझे सदा से नवीन दृश्यों को जाकर देखने, श्रौर विचित्र चरित्रों तथा जीवन-विधियो का निरीक्षण करने का शौक था । जब मै बिल्कुल वच्चा था तभी मैने श्रपनी यात्राए श्रारम्भ कर दी थी श्रौर श्रपन देवी नगर के विदेशी भागों एव शभ्रज्ञात अगों को खोज निकालनेवाली ऐसी कितनी ही यात्राए कर डाली थी, जिनके कारण मेरे प्रतिपालक-गण प्राय चिन्तित हो उठने थे श्रौर तकीब या सुनादी करनेवाले की बन शथ्राती थी । ज्यो-ज्यो मै बढकर वडा होता गया, शभ्रपने निरीक्षण की परिधि का विस्तार करता गया । मेरी छुट्टी की दोपहरियां श्रब निकटवर्ती देहातो में परिभ्रमण करने में बीतती थी । इतिहास या किस्सों मे जितने भी प्रसिद्ध स्थान थे, उनसे मैने श्रपने को परिचित कर लिया था । मै ऐसे हर स्थान को जानता था जहा कोई हत्या या डकैती हुई थी, या जहा कोई भरुत-प्रेत दिखलाई पडा था । मै पास के गावो में जाता था झौर वहा के निवासियों की प्रादतों श्र रिकाजों को देखकर तथा उनके साधुशझ्नो एव महान्‌ व्यक्तियों से वार्तालाप करके मैने अ्रपनी ज्ञान-राशि बहुत बढा ली थी । गर्मी का एक पुरा दिन सबसे




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