अतीत से वर्तमान | Atiit Se Vartamaan

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Atiit Se Vartamaan by राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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घुमक्तड़राज नरेन्द्रयश प्र पीछे संघराज बना दिया । नरेन्द्रयश के पास अब बहुत घन श्राता था, जिसका बहुत-सा भाग वे भिल्लु्रों, गरीबों, कैदियों श्रादि को भोजन कराने में खच करते । उनकी उदारता के भागी पशुपत्ती भी होते थे । उन्होंने लोगों के लिए बहुतससे कुएँ खुदबाए, जिनसे वे श्रपने हाथ से पानी निकालकर प्यासों को पिलाते थे । उन्होंने रोगियों के लिए, धमार्थ चिकित्ठालय स्थापित किए, जिनमें रोगियों के लिए हर एक तवश्यक चं!ज मुफ्त दी जाती थी । ची-चुन में पश्चिमी पद्दाड़ के ऊपर उन्दोंने तीन विद्वार बनवाए । वे उन होटलों में भी जाते, जिनमें तुर्क घुमन्तू कर ठहरते थे । उन्हें वे समभाते थे कि मद्दीने में कम-से-कम छा दिन तुम निरामिष-भोजी बनो आर खाने के लिए बकरियों को न मारो । इस तरह का घार्मिक श्रनुष्ठान नरेन्द्रयश के जीवन का एक अंग था। एक बार नरेन्द्रयश बीमार पड़े, तो उन्हें देखने के लिए, सम्राट श्रौर सम्राजी स्वयं श्राए । इस तरह का सम्मान-प्रदशन बहुत थोड़ों दी को मिलता था । ४७७ ई० के श्रन्त में उत्तरी छी-राजवंश को उत्तरी चाउराजवंश ( ५५०७-८१ इई० ) ने जीत लिया । सम्राट वूत्ती ताउ-घर्म का श्रनुयायी था । उसने ५७२ ई० में चीन से बोद्ध घम॑ आर संघ के उच्छेद करने का निश्चय कर लिया आर बहुत-से मिल्लुश्रों को मरवा दिया । ऐसी परिस्थिति में नरेन्द्रयश को अपने चीवर के ऊपर गददस्थों के वस्त्र डालकर जगदद-जगदद मारा-मारा फिरना पड़ा । नो वर्षों तक नरेन्द्र- यश को बड़े कठोर जोवन का सामना करना पड़ा, जिसका श्रन्त सु राजवंश ( ५८१-६१८ ई० ) की स्थापना के साथ ४८१ ई० में हुआ्रा । नए राजवंश के शासन के श्रारम्भ होते दी सम्राट वेन्‌तीने नरेन्द्रयश को बोद्ध सूत्रों के अनुवाद करने के लिए राजघानी में निमन्त्रित किया । इसके बाद सम्राट ने उन्हें मिलुत्रों के 'श्रातिथ्यपाल' का. पद प्रदान किया । नरेन्द्रयश ने इस काम को इतनी श्रच्छी तरइ से पूरा किया कि सभी उनसे बहुत संतुष्ट रहे । नरेन्द्रयश ने ८० जिल्दों के पन्द्रह् ग्रन्थों




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