समग्र भाग 3 | Samagra Vol 3

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : समग्र भाग 3 - Samagra Vol 3

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about आचार्य विद्यासागर - Acharya Vidyasagar

Add Infomation AboutAcharya Vidyasagar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
समग्र 3 /14 अनिमेष अवलोकन करता हुआ अपने को पाया घिरा हुआ स्वतत्रता के दिव्य तेजोमय 1 द्वाभा मण्डल में विदित हुआ है कि शुद्ध किन्तु सहज किया का यह सूत्रपात है यथाजात है यही सचमुच रहा सब कुछ मात तात है तभी एक साथ हो भू सात्‌ तीनो करण मन वचन तन सानन्द सादर किया प्रणिपात है फलस्वरूप विशाल भाल पर चरणरज कुन्दन कुकुम अकित हुआ है लग रहा है तृतीय नेत्र उग रहा है




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now