मुद्रा, बैंकिंग & राजस्व | Currency, Banking & Finance

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Book Image : मुद्रा, बैंकिंग & राजस्व  - Currency, Banking & Finance

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एस० एम० शुक्ल - S. M. Shukl

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विजयेन्द्रपाल सिंह - Vijayendrapal Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मंद्रा का महत्व (पफ6 1फफुणकाए€ 0 फफा&क)णाण जेसा कि ऊपर बताया जा चुका है, वर्तमान युग को मुद्रा का युग कहां जाता है । इस संसार का जीवन-रक्त ही मुद्रा है । यदि संसार की तुलना एक विशार्ल मशीन से दी जा सकती है तो शायद यह कहना श्रनुचित न झगा कि जिस तेल से यह मश्चीन चालू है वह मुद्रा ही है । बिना मुद्रा के हमारा सामाजिक, ब्माथिक अथवा राजनैतिक जीवन समुचित रूप में नहीं चल सकता है । श्राधुनिक संसार. ने अनेक बार यह श्रनुभव किया है कि जब कभी भी किसी देश की मुद्रा प्रणाली बिगड़ती है उस देश का श्राधिक तथा सामाजिक जीवन ही नहीं 'राजनतिक जीवन भी चौपट हो जाता है और देश श्रवनति की शोर चला जाता है । प्रत्येक देश यथासम्सव यही प्रयत्न करना है कि श्रपनी मुद्रा-प्रशाली को नियन्त्रित तथा व्यव- स्थित रखे, क्योंकि इससे सभ्तोष श्रौर उन्नति की श्रनुकूल दशायें उत्पन्न होती हैं । इसी उद्देश्य से लगभग सभी देश शपनी-श्रपनी मुद्रा व्यवस्था में “चित फेर-बदल करते रहते हैं । कं वेसे भी यदि हम श्रपने चारों श्रोर हृष्टि डालें तो हमें प्रत्येक मनुष्य कुछ न कुछ कार्य करता हुभ्रा दिखाई देता है । कोई सड़क बनाता है, तो कोई कॉलिज में पढ़ाता है, कोई दफ्तर में काम करता है, तो कोई दिन भर हथौड़ा चलाता है । यदि इन सब व्यक्तियों से पूछा जाय कि वे इस प्रकार दिन भर किसलिए जी तोड़ परिश्रम करते हैं तो उत्तर केवल यही' होगा कि वे रुपया कमाते हैं । दूसरे शब्दों में, उनका उद्दद्य मुद्रा प्राप्त करना है । मुद्रा का इतना अधिक महत्त्व इस कारण है कि प्रत्येक व्यक्ति की कुछ श्रावश्यकताए हुमा करती हैं, जिनका पूरा करना या तो उसके लिए श्रावश्यक होता है या उनको पूरा करने से उसे सुख मिलता है श्रौर मुद्रा श्रावश्यकर्ता- पूर्ति का सबसे उपयुक्त साधन है । मुद्रा द्वारा विनिमय का कायें बड़ी सुगमता से किया जा सकता है । संसार की प्रत्येक वस्तु मुद्रा के वैंदले में प्राप्त की जा सकती हैं । बिना मुद्रा के श्रावश्यकता-पूति कठिन है । इसके अ्रतिरिक्त वर्तमान समाज में मुद्रा ही सम्मान तथा प्रतिष्ठा प्रदान करती है । जिसके पास मुद्रा है उसे संसार के सभी सुख प्राप्त हो जाते हैं । निस्सन्देह ऐसी दशा में संसार का मुद्रा के पीछे पागल होना . उचित ही दिखाई पड़ता है ।- वर्तमान संसार में मुद्रा का महत्त्व अथवा उसके लाभ निम्न प्रकार हैं :£-- ( १) झ्राधिक जीवन की घुरी-- मुद्रा वह धुरी है जिसके चारों भ्रोर पथ विज्ञान चक्कर लगाता है । पीस (छं2्०0) के श्रनुसार श्रथशास्त्र में प्रत्येक प्रयत्न, घटना शझ्रथवा वस्तु को नापने का एक मात्र माप-दण्ड मुद्रा ही. है । स्मरण रहे कि पीगू का हष्टिकोण व्यावहारिक है । यदि इस प्रकार के मीप-दण्ड का उपयोग न किया जाय तो श्रथं विज्ञान में न तो.किसी प्रकार की निद्चितता ही लाई जा सकती है श्रौर न किसी भी बात का ठीक-ठीक पता ही लगाया जा सकता है । विनति- मय की सूगमता प्रदान करने के कारण मूद्रा कलाकौशल, साहित्य, विज्ञान तथा




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