पार्टी कॉमरेड | Party Komared
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
142
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पार्टी काँमरेड ] १३
दृष्टि उस ओर गई । रेस्टोराँ में चाय पीने श्रानेवाली लड़की एक दूसरे
नौजवान लड़के के साथ सड़क किनारे पटड़ी पर शखबार बेच रही थी!
त्ते-जाते लोगों के सामने अखबार बढ़ाकर बह कहती--“प्लीज़ रीड
पीपल्सण्ज !” और कभी गुजराती में कहती “जनयुग पढ़िये !* बेसे हो
उसका साथी, उससे अधिक ऊँचे स्वर में पुकार पुकार कर श्र अखबार
दिखा कर बिक्री कर रहा था। *
क्यों भाई पण्डित ; अखबार खरीदोंगे ?”--सुकुल को सुना कर
पुस्तूलाल ने पदमलाल को चुटकी ली--किहते थे न ?*
“जैसे सेठ कहें”--सुकुल ने भावर्या की शोर देख सुस्करा दिया |
मावरिया चुप-चाप खड़ा देखता रहा । लड़की उसी प्रकार आग्रह
से अखबार बेचे जा रही थी । अखबार बिक जाने पर पेसे बढुये में
' डाल, दूसरी बांह के मीचे से नया अखबार ले फिर दिखाने लगती |
भावर्यि आगे बढ़ गया । दस रुपये का एक नोट अखबार बेचनेवाली
की ओर बढ़ा उसने कहा--दीजिये तो एक ठो !'
गाहक की द्योर ध्यान न दे लड़की ने अखबार दे नोट से लिया
त्और शेप रुपये चापिसि करने के लिये, श्रखबार दूसरी बांह के नीचे
सम्माल, ब्रड्ा खोल ढटोलने लगी | नौ रुपये श्रौर चौदहद श्राने जल्दी
महीं मिल रहे थे 1
“जाने भी दीजिये हो जायगा*--उपेक्ञा दिखा भावरिया से कहा ।
उब लड़की ने भावरिया की ओर देखा श्र कुछ भेंप गई । मावस्ति
अखबार को समेय्ता हुआ, पुचूलाल को चुनोती की दृष्टि से देखता
सौर छाया ।
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