श्रीमद्भग्वतीसूत्रम भाग ५ | Shreemadbhagwati Sutram Bhaag 5
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
301
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)'.[ ११४४] ......'..'. + .. :झायुष्य बन्घ
: से टुकड़े पमिठे हैं। इससे डकड़ें मत फिंकवाओ । राजा ऐसे
'संब भिख्रारियों को निकालता जाता था ।.
ब्माखिर एक भिखि प्वार. पर आया । उससे भी यही बांत॑
कहीं गडे । उसने सोचा राजा कहता है तो टुकड़े फेंक देना
. अच्छा है, राज्य चहि मिले यां न सिढे ! ऐसा सोच -कर, उसने
.. सब टुकड़े फक॑ दिये । राजा न से बिठा लिया ।
.. . उसके पश्चात् राजन उसी क्रम . से फिर . भिखाररियों को .
' , निकाठना.आरंभ. किया । कुछ सिखारियों. के. पश्चात् एक -सिखारी
आया: । ढुकड़े फेंकने के .लिए ,क़दने पर उसने सोचा:-'राज़ा '
: कहता हैं, राउय. दूँगा । झगर इसने राज्य न दिया तो अभी-अभी
.भूखों मरना पड़ेगा. । फिर भी..राजा. की बात पर अविश्वास करना.
ठीक नहीं है । उसने कहा--'में सब डुक़ड़े : तो. . नहीं फेंकूँगा, .हां..
: कुछ रख लैूंगा ।” राजान कहा-'“जेसी तुम्दारा इच्छा हो, करो ।
: मिखारी ने अच्छ-अच्छे कुछ डुकड़े रख लिये : और शेष, फैंक .
'. दिये । राजा .ने उसे भी . बेठा लिया और सब भिखाएरियों. को
मी छोड़ेंदियों। '. ' ' .. . :
.; _. दूसरे दिन राजी ने पदलें भिखारी को राजा आर दूसरे
_ को, प्रधान बना दिया । राजा बना हुआ भिखारी सोचने छगा
: '. डकड़ें यांगने से मुझे राज्य मिला है, इसलिए अब और अधिक
त्याग करना चाहिए । अंधान .बना हुआ मसिखारी सोचता था,
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