पन्द्रह अगस्त के बाद | Pandraha August Ke Bad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
254
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पंद्रह श्रगस्तके बाद कांग्रेस ः प्र
वंटवारेसे अखिल भारतीय संस्थाका वंटवारा नहीं होता--
होना भी नहीं चाहिए । हिंदस्तानके दो सार्वभौम राज्यों में
वंट जानेसे उसके दो राष्ट्र नहीं हो जाते । मान लीजिए कि
एक या ज्यादा र्यासतें दोनों राज्योंसे वाहर रहती हैं, तो क्या
कांग्रेस उन्हें और उनके लोगों को राष्ट्रीय कांग्रेससे वाहर कर देगी ?
क्या वे कांग्रेससे यह मांग नहीं करेंगे कि वह उनकी तरफ विद्येप
ध्यान दें और उनकी विद्षेप परवा करे ? यह जरूर है कि
अब पहलेंसे ज्यादा पेंचीदा सवाल खड़े होंगे । उनमेंसे कुछको
हल करना मुद्किल भी हो सकता हैं; लेकिन कांग्रेसके दो
टुकड़े करनेका यह कोई कारण नहीं होगा । इसके लिए
कांग्रेसको. भव तककी अपेक्षा ज्यादा वड़ी राजनीति, ज्यादा
गहरे विचार और ज्यादा ठंडे दिमागसे फंसला करनेकी जरूरत
'होगी । हमें पहलेंसे ही लाचार वना देंनेवाली मृदिकलोंका
विचार नहीं करना चाहिए । आजतक जो चुराइयां हो चुकीं
वें काफी हें ।
सवाल--कया कांग्रेस श्रब सांप्रदायिक संस्था बन जायगी ? श्राज
इसके लिए वार-वार मांग की जा रही हूं । श्रव जन कि मुसलमान श्रपने
श्रापको परदेदी समकते हैं तब हम भी श्रपने यूनियनकों हिट हिंदुस्तान
कहकर वयों न पुकार श्रीर उसपर हिदद-घर्मकी श्रमिट छाप क्यों न लगायें ?
जवाब--ग्रह सवाल पुछनेवालेके घोर अनज्ञानकों जाहिर
करता हैं । कांग्रेंस कभी हिंदू-संस्था नहीं वन सकती । जो. उसें
हद-संस्था बनाएंगे वे हिंदुस्तान और हिदू-धर्मके दुद्मन.
ोंगे । हिदस्तान करोड़ों लोगोंका राष्ट्र हैं । उनकी आवाज
किसीने नहीं सुनी है । अगर कोई दो राष्ट्रके सिद्धांतकों मानकर
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