नीरा | Niiraa

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| २. दिल्‍ली में बाबू प्रमोद राय का बड़ा नाम था । नगर में उनकी कई दुकानें, और मकान थे । पैतुक सम्पत्ति भी अच्छी थी। सम्पत्ति के साथ ही साथ सम्मान का तार भी परम्पर। से अखण्ड रूप में चला अआ रहा था। समाज और नगर में यदि कोई प्रमुख कार्य होता तो उनकी पूछ अवश्य होती । उत्सव, सभा- समितियाँ प्रमोद राय के बिना सूनी लगतीं । उनकी 'हाँ ' में 'हां' और '“नहीं' में “नहीं' मिलाने वाले उनके अनेक साथी थे । कुछ हृदय के उदार थे, किन्तु उदारता से अधिक पैसे का प्रभुत्तव अधिक था । पैसे के प्रभुत्त्त ने मानवता को दा दिया था, और प्रमोद राय चारों शोर प्रमोद राय हो रहे थे । पाठक अभी पुलिन को न भूले होंगे । पुलिन इन्हीं प्रमाद- राय का पुत्र था। एक ही पुत्र था, इसलिये प्रमोद राय की प्र




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