नाटककार उदयशंकर भट्ट | Natakakar Udayshankar Bhatt
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
289
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अनेक रूपों का दिगदर्शन है ।
द्वितीय भ्रध्याय में उनके पौराशिक, ऐलिहासिफ सौर सामाजिक नाटकी
का कालक़पाबुसार विश्लेपण है। यह अध्याय तीन खण्डों में बिभक्त है।
प्रथम खण्ड में उनके पौराणिक, ऐपिहासिक श्रौर सामाजिक नाटकों थी
विपय-वस्तु का संक्षिप्त परिचय है । ट्िंतीय खण्ड मे भट्टजी के पौराशिक
अर ऐतिहासिक साटकों सें इतिहास श्रौर कल्पना तत्व का सामंजस्य शरीर
सामाजिक नाटकों मे समाज का यथाथे चित्रण श्रादि का विवेचन है। तृतीय
खण्ड में भारतीय श्रौर पादचात्य सनीधियों द्वारा निर्धारित नाठक के मुख्य
तत्व--कथावस्तु, पार (चरिन्र-चित्रण), रस, कथोपकथनु, शाषा-शेली श्रौर
रंगमंच की दृष्टि से नाटकों का विष्लेषण है ।
तृतीय श्रध्याय को भी तीन खण्डों में विभक्त किया है। प्रथम खण्ड में
भावनादय श्ौर गीतिनाद्य का अन्तर स्पष्ट करते हुए भावनाद्य के तत्वों के
प्राधार पर भट्टेजी के भावनाट्यों का विदलेषण हैं। द्वितीय खण्ड में भट्टजी के
गीतिनाट्यों को विवेचन का श्ाधार बनाया है श्रोर तृतीय खण्ड में रेडियो
रूपक के तत्वों के श्राधार पर भट्टजी के रेडियो-रूपकों को परखने का प्रयास है ।
चतुर्थ श्रष्याय में उनके एकाकियो की कथावस्तु का संक्षिप्त परिचय एवं
एकाकी के तत्वों के श्राधार पर उनकी थिवेचना है ।
पंचम श्रध्याय के अन्तर्गत सभी नाटकों में भ्राये हुए गीतों का भावपक्ष,
कलापक्ष के साथ-साथ परिस्थिति, भावों श्रादि की हष्टि से विदलेषण किया
है । इनका श्रलग विवेचन इसलिए किया है क्योकि गीत नाटक का ब्रावश्यक
तत्त्व है, दूसरे उनका भ्रपना स्वत्त्र महत्त्व है ।
पण्ठ श्रध्याय में हिन्दी नाटय परम्परा का संक्षिप्त विकास है श्रौर उसमें
भट्जी के स्थान को निर्धारित करने का प्रयास है ।
परिशिष्ट भी तीन खेण्डों में विभक्त है । प्रथम खण्ड के श्रन्त्गंत भट्टजी
के नाटकों श्रौर एकाकियों में प्रयुक्त सूक्तियाँ संकलित हैं, द्विनीय खण्ड में भट्टजी
की प्रस्तुत पुस्तक मे चचित पुस्तकों की सूची है। तृतीय खण्ड में सहायक
ग्रस्थो की सुची ।
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