व्यक्तित्व और कृतित्व | Vyaktitv Aur Krititv

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Book Image : व्यक्तित्व और कृतित्व  - Vyaktitv Aur Krititv

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सवतीमुसी व्यक्तित्व प्रकाप-पुझ्ा एक प्रकासमान '्यक्तित्व-जिसे लोम “कबि थी” के नाम से जाते पहचानते पौर मानते हैं । नाम भमर मुलि होने पर भी लोग “कबि थी” कहना ही प्रथिक पसन्द करते हैं। “कम जी' इस तीम ध्रकारों में दो सक्ति है जो म्पक्तित्व है सौर जो मार्कर्पण है- यह 'प्रदूमुत है बह बे-जोड़ है. बहू भपनी पानी का धाम ही है। बसंमान सती का स्थातकबासी समाज के लिए, यह एक महान 'चमत्कारमम जीवन है। एक बह जीवन जो स्वयं भी प्रकाप्रमात है, धर प्रमाज को मी प्रकाब्ममास बना रहा है। “कि जी' का भर्ष है- जनजीवन की एक भजस ज्पोतिमम बारा। कथि जी' एक बहू महाष्यत्तित्व है--जओ विचार के सासर में पहुणा योता लगाकर, समाज को सस्कृति बर्म भौर दर्शन तत्त्व के चमकते मोठी शाकर देता है। 'कषि जी' “लो बिधेक बेरास्प प्रौर भावना के पथिष प्रठीक है । जौवत-रेखा सरल भौर सरध मानस तर्क-प्रषण प्रद्का तथा मृदु भौर मदुर बाजी --ये तीनों तत्त्व जिस तेजस्वी ब्यक्तित्व में एकमेक हो गए है उस महामहिम ब्यक्तिस्व का परिचय है--“उपाप्याय कबिरत्न भद्धेय प्रमरणस्जी महाराज । इसका सश्पेप होगा “उपाध्याय भमर मुमि' 1 इसका भी संक्षेप होया--'कबि जी ।




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