हवाईनाव | Hawainaav

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Hawainaav  by गंगाप्रसाद - Gangaprasadरामकृष्ण वर्म्मा - Ramkrishn Varmma

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रामकृष्ण वर्म्मा - Ramkrishn Varmma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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डा श्द ) ली घट कार पु बनाया गया था । दधिणीय अमेरिका को जंगश्ती जातियों बड़ी से बढ़ी नदियों को रस्सी के ऐसे छो पुनों के ददारा पार किया करतो हैं। रस्सी का पुल देखकर वानें ने क्दा--“उस पुल कौ भर देखिए; कैसो अच्छी बनावट हैं |” जुन--हां, लेकिन ओद | उधर टेखो । दोनों ने देखा कि जंगलों .जाति कौ एक स्त्री पुल को पार करने चलो है । उस स्त्री का भ्राघा शरोर नहा था । वह अनुमान आधा पुल पार कर चुको थी कि ससा उसकौ दृष्टि अपर को उठ गई, भर उसने हवाईनाव को डेख लियां । ततुन्ण उसके मुंद से एक 'चौख निकली; उसके डाथ पेर कापने लगे; पुल का रस्सा उससे छूट गया, और वह पानो में गिर पढ़ी | केवल इतना हो नहीं उसके शिरते दी दल के दल सनुष्थभचक घड़ियाल आदि जल के जन्तु उसको खा जाने के लिये उसकी ओर. बढ़े वेग से स््पटे 1 चर न चौथा प्रकरण । लफ़लो प्रौरत का जल में गिरना एक साधारण बात थी; और बच पेर कर नदो को सुगसता से पार क्र सकती ३. बि




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