इन्साफ - संग्रह भाग - 3 | Insaf - Sangrah Bhag - 3

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Insaf - Sangrah Bhag - 3  by मुंशी देवीप्रसाद मुंसिफ़ -Munshi Deviprasad Munsif

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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. (७ ) . जावे और. दूलहद की झरथी के साथ इसे. थी कर दिया जावे । श्रागे सती . होना. न होना इसकी मरज़ी पर है ।- दुलहिन नादान है, कुछ नहीं सम- , _ कीं । दकी वक्की खड़ी हुई देख रही है. कि यह क्या. हुआ श्र क्या हो रहा है । उसके माँ-बाप रो. रहे हैं .किं हाय बेटी फेरों में ही विधवा होगई-- '. ध्रब क्या करें महाराज ने श्रादमी भेज कर कहदलाया कि लड़की जैसा जोड़ा और गहदना श्रभी पहने है, बैसा ही उसे पहने रहने दो और कोई कुछ गड़बड़ _ स करे.। दम तढ़के ही पाकर इसका 'निर्धार करेंगे कि यह... व्याह्दी गई या क्वारी है ? यह हुक्म सुन क्र सब ,लोग चुप हो गये श्लौर महाराज का रास्ता देखेंने सगे। ' थ -. ' महाराज बड़े तड़के ही, स्नान, संध्यां और दान-पुण्य करके, वहाँ पधारे श्रौर पूछा कि क्या भगड़ा है ? तब लड़की वालों ने कंहा कि दूट्हा रात को फेरों में मर गया हे, .श्रब ये लोग लड़की को रंड्साला पहिना कर ले जाना चाहते हैं । पर हमें यह बात मंजर नहीं है । जा होना था वह तो हो ही _ गयां, अब -ये लड़की' को ले जाकर क्या करेंगे-उलटा..दुखं देंगे। बरा- . तियों ने कहा कि जब दुलहिन का सुहाग ही जाता रहा है तो -फिर व्याह -का जोड़ा गहना .पहनाये रखने की क्या ज़रूरत है ? जा '... . महीराज--फेरे होगये हैं या नहीं ? क«* ; बराती--तीन, तो होगये हैं, चाधे में यह गजब हुआ कि दूल्हा मर गया। . : ' .. महाराज ने पहिले ते गाँव के सब पंचों को जमा . किया ओर फिर उनकी आऔरतों को बुलाकर हुक्म दिया कि छुम- व्याह्द के गीत, आदि से लेकर अंत तक, गाकर सुनाझो । औरतों ने पहिले ता गणेशपूजा” वगैरह के _ गीत.गाकर सुनाये, फिर तेल, तारने और आरती आदि के गाकर अत में .. फरों का यह गीत गाया कि 'पहिले”फेरे बनड़ी बाबा री बेटी”, “दूजे फेरे बनड़ी काका री, भतीजी, 'तीजे, फेरे बनड़ी मामा री थरांणजी” “चाथधे फेरे बनड़ी हुई रे क्रय ...*: - - _* -. इसपर महांराज ने फूरमाया कि बनड़ी चैथथा फेरा हो जाने से पराई अर्थात्‌ उस ध्रादंमी 'की होती 'है जा उसको व्याहने आता है; श्रौर - तीन फेरों तक.




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