भूदान-गंगा | Bhoodan-ganga Khand 6
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
318
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दिंसा को हदाना हमारा लघ्य वक
चि्लाते रदते हैं कि लड़ाई न हो, शान्ति रहे, पर उनके द्ाथ में सिर्फ चिल्लाना
दीडे। कोई भी मूर्ख अपनी दीड़ी घास की गंजी पर फँँके, तो सारे गाँव को
सांग लग सकती है । इसी तरदद किसी एक मूर्ख के मन मैं ये श्रौर व किसी
देश पर छीटा-सा श्राक्रमण कर बैठे, तो लड़ाई शुरू हो जायगी । किसी एक
कूटनीतिश का दिमाग चिढ़ जाय, तो वह सारी दुनिया को श्राग लगा सकता दै ।
सान का समाज ऐसा है कि इमने अपना मला-बुरा करने की शक्ति चंद लोगों के
हाथ मैं दे रखी है ।
थकसर श्रपने लिए, भगवान् से सदूजुद्धि देने की प्रार्थना करने का रिवाज
है। लेकिन बाबा बहुत बार आपने लिए प्रार्थना नहीं करता । वह भगवान् से यटी
मार्थना करता है कि “मगबन् ! श्राइक को सद्बुद्धि दे, घुल्गानिन श्रौर इंडन को
श्रक्ल दे।” क्योकि यदद जानता है. कि भगवान् बाबा को. बेवकूफ वनायेगा, सो
यह दुनियां का नुकसान नहीं कर सकता । लेकिन श्रगर वह ईडन, श्राइक श्रौर
घुल्गानिन को श्रक्ल न दे, तो दुनिया खतम हो जायगी । इसलिए, बाबा ने कुछ
स्तराथे छोड़ दिया श्रीर केवल परार्यजुद्धि से उन लोगों के लिए. प्रार्थना करता है ।
वह इससे भी एक बुनियादी बात करता है, जो प्रार्थना है श्रौर प्रयत्न भी । प्रार्थना
यह है कि “भगवन् , तू हमें ऐसी बुद्धि दे कि हम श्रपना कारोबार चद लोगों के
दाय में न सौरें ।” श्रीर यदी इमारा पयल है, जो भूदान, संपत्तिदान के जरिये
चल रहा दै। इसलिए बाबा का दावा है कि भूदान के जरिये विश्वशांति के लिए,
जितनी श्रष्छी कोशिश दो रददी है, उससे श्रधिक कीं दोती है, यद वद
नहीं जानता |
जनून चाहिए
हम झापको भूदान का जुनियादी विचार समभाते हैं, तो हमारा काम पूरा
होता है । श्रमी इम श्रौर ४-५ महीने शापके प्रदेश में रेंगे। लेक्नि वैसे आप
चाचा का मन उंदर से देखें, तो श्रापको दूसरी ही चीज दीखेंगी । श्रगर यही
श्हिंसात्मक क्रान्ति की कोई सूरत दौख पड़े, तो बावा तमिलनाढ़ छोड़ना दीन
चाहेगा | बाबा का लोम किसी एक प्रदेश, जिले या गाँव से नहीं, उसकी श्रासक्ति
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