गीतामंथन | Geetamanthan

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Geetamanthan  by किशोरलाल घनश्यामलाल मारारुषाला - Kishorlal Ghanshyamlal Mararushala

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उपोदूघात प्र नियमों एवं सिद्दास्तों को सूदमत्ता श्र ब्यापकता की नित्य नहं प्रतीति होती जाती है । इसलिए, यद्द न समकना चादिए कि गीता कोई गोलमोल श्रथवा युप्त भाषा में लिखा ग्रन्थ है घर इसलिए वदद गूढ़ है । वात यह है कि हमारा जीवन निरन्तर विकासशील हैं श्रौीर उसका प्रथक्करण श्रासानी से नहीं होता, यही उसकी गूद॒ता का कारण है । दूसरे शब्दों में कहा जाय तो, गीता गूढ नहीं वल्कि जीवन यूढ़ है और चूंकि गीता जीवन से सम्बन्ध रखने बाला ग्रन्थ है इस कारण वह यूढ़-सा बन गया है । ्‌ गीता का मन्यन बार-बार करना क्यों श्रावश्यक है, वह इस सम्बन्ध में इतना कंड देने के वाद्‌ श्रव हम गीता की स्वना पर विचार करं । गीता महाभारत का एक भाग है । महाभारत को समान्यतः इतिदास कहा जाता है । किन्तु उसे साधारण श्रर्थ में इतिदास श्रथवा तवारीख या दिस्ट्रीकइना भूल है । चंद इतिहास नहीं बल्कि ऐतिद्दासिक काव्य है । पारडव श्रौर कौरव के जीबन की कई खास-खास घटनाओं का वर्णन करम के लिए कवि ने एक महाकाव्य के रूप मे उसकी रचना की है। कवि का उद्देश यदद नहीं कि चद्द घटना-क्रम का ज्यों-का-त्यों वणन करदे । उसका मुख्य उद्देश्य तो हैं एक मद्दाकाव्य की रचना करना, श्रौर उस महाकाव्य के लिए उसकी मुख्य योजना है कुरुच॑श के युद्ध को उसका श्वपना चिपय वनाना । ˆ चव्य हने के कारण इसकी कितनी हौ घटनाय, कितने दी पात्र रौर कितने ही विवरण श्नादि कल्पित हो सकते हं । इसमें श्रगर कहीं दो व्यक्तियों के बीच कोई संवाद श्राया है तो हमें यह नददीं समक सेना चाहिए कि चह्द संवाद किसी रिपोंटर का लिया ह्रौ थवा किपीने.च्यो-




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