आगम - युग का जैन - दर्शन | Agam Yog Ka Jain Darshan

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Agam Yog Ka Jain Darshan by दलसुख मालवणीय - Dalsukh Malvneeya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १५ ) {क} प्राच्चापं तिदसन . १--सिद्धसेन का समयं २-- सिद्धसेन की प्रतिमा ३--सनमतितकं मे अनेकान्त स्थापन ४--जन न्यायशास्यों की आधारशिता परिशिष्ट १--दाधंनिक साहित्य का विकास कमः १--आगम युग २--अनेकान्त व्यवस्था युग ३--प्रमाण व्यवस्था युग ४--सब्यन्याय युग रे--भाचायं मत्लवादो घोर उनका नपघक्र १--मत्लवादी का समय २--नयचक्र का महुस्व ^ ३- दर्शन भीर नय ---सवंद्शंनपंग्राहक भेनददान ५--नयचक्र को रचना की कथा ६--कथा दग विश्लेषण ७--नयचक्र भौर पूर्वे घ--नंयचक्र की विशेषता 1 ६€--सयचफ्र का परिचय द--पाटिभापिक भ्रौर विदेय नामों की सुची-- १७४ २७० २७१ २७२ २५७५ २७६-.२६२ २८१ २८५ २८६ २६१ २६३--२१८ २६४ २६५ २६७ २६९६ ३०० ३०१ ३०४ ३०५ ३०७ २३२१




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