आनन्द - निकेतन | Aanand Niketan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
246
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तुम्दारा जीवन श्रसात क्यों है ? २७
बातों को संभव कहता था; वे संभव हो गई हैं । बुढ़ापे में यौवन की
कलम लगने लगी है श्रौर डे गवं के साथ विज्ञान ने दावा किया है कि
वह दिन दूर नहीं जब मनुष्य मृत्यु पर विजय पा लेगा श्रौर कामचलाऊ
श्मादमी मी नाये जा सकेंगे । मामूली काम करते वाले मशीन के त्रादमी
तो बन भी गये हैं ।
पर जहाँ नित्य नये-नये श्रा विष्कार हो रहे हैं श्रौर विज्ञान ने प्रकृति
पर विजय पाने की घोषणा की है श्र जहाँ आराम की सारी सुविधाएं
हैं वहाँ यह मनुष्य इतना श्रशान्त क्यों है; ऐसा
फिर भी संतोष नहीं असन्दुष्ट क्यों है ? इतना प्यासा क्यो है १ उसके
न्द्र शान्ति क्यों नहीं; तृप्ति क्यो नहीं १ वह इतना
खोया-खोया कैसे है श्रौर उसका संतोष एव सुख बढ़ता भ्यो नदीं है?
आधुनिक सम्यत्ता एवं विज्ञान के सामने यह सवाल एक चैलेंज है ।
पाश्चात्य सभ्यता ने जीवन को उन्माद से भर दिया है । लोग एक
नशे म, जल-धारया के तिनके की भोति; बहे चले जा अपनी
शक्ति से नहीं, एक प्रबल धारा के वेग से | मनुष्य
यह सूच्छुंना ! मशीन बन गया है । उसने अपना श्आत्म-विश्वास,
अपना इश्वरत्व खो दिया है श्रौर श्रसहाय-सा,; पर
अपनी शक्ति के दंभ का प्रदर्शन करते हुए, न जाने कहाँ जा रहा है ।
पाश्चात्य सभ्यता ने सबसे बढ़ा झकल्याण--जिसे पाप कहने में ्रत्युक्ति
न दोगी--जो किया है वह यह कि उसने मनुष्य को बिलकुल चेत कर
दिया है श्रौर उसकी असीम दैवी संमावनाच्रों ( 208811111068 ) को
हर लिया है । राज किसी से (ब्रह्मचयं की बाते करो, वह अविश्वास
की हसी से हस देगा- यह हम-जेसे साधारण मनुष्यो का काम नदीं ।
जीवनहीन, मूच्छना से भरे हुए ये शब्द क्यों १ मनुष्य; जो जगत् का
श्रेष्ठ प्राणी है, उसके मुख से एेसे दीनता, दुब॑लता श्रौर विवशता के
शब्द क्यो १
वात यह है कि जीवन की बाहरी शुलकारियों में हम भूल गये;
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