चन्द्र - कला | Chandra Kala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
131
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चन्द्रकला १०
आई हैं । ” रिचर्डकी कल्पित कहानी सुनकर ज्रेकका खून उबल पड़ा }
बह भी उन हृबशियोंसे मोरचा छेनेके लिये व्याकुल हो उठा, परन्तु
घायल रिचईने ही उसे इस तरह आक्रमण करनेसे रोका । वह बरुढ़ेकी
हिम्मत और अधिक नहीं परखना चाहता था ।
ब्रेक और रिचर्ड दोनों बाहर चले आये |
(४)
रिचर्डका इजहार समाप्त हो जानेके अनन्तर न्यायाघीशने उस वृद्ध
भारतीय अभियुक्तका बयान लेना झुरू: किया । न्यायाघीशने पूछा--
«५ तुम्हारा नाम कष्या है १ ”
ृद्धने उत्तर दिया-- “° वीरसिंह । ”
न्यायाधीराने पिताका नाम, जाति, आयु आदिके सम्बन्धे अनेकं
तरहसे प्रश्न विये, परन्तु अभियुक्त इस सम्बन्धमे कुछ भी बतानेसे
स्पष्ट इंकार कर दिया । |
न्यायाधीरा महोदय इसपर भी दृद्धसे नाराज नहीं इए । वृद्ध भारतीय
इतना अधिक बृ था कि उसके शरीरका एक-एक रोम चेत पड़ चुका
था । उसे देखकर न्यायाधीशने यही समझा वि यह व्यक्ति अलयधिके.
बुढ़ापिके कारण अपने पिताका नाम, आयु आदि सभी कुछ भूर गया
हे । मजिस्टेटने अपने क्वार्कसे कहा--'' ठिख ठो--आयु लगभग ६०
बरस, जाति हिन्दू , पिताका नाम स्मरण नहीं ।”
द्ध महोदयने इसपर कोई एतराज नहीं किया ।
न्यायाधीराने रर प्रछा--““ आपके वे तीना नौकर यौ उपस्थित
क्यो नहीं इए
बूढ़े हिन्दूस्तानीने मुस्कराकर पूछा--*' कौनसे नौकर १
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