आजकल | Aaj Kal

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Aaj Kal by चन्द्रगुप्त विद्यालंकार - Chandragupt Vidyalankar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(०२) नागरिकता एक पुरानी गाथा के अनुसार सृष्टि फे प्रारम्भ में इस प्रथ्वी दूत: पर केपल बालक और बालिकाओं का द्वी निवास था । उन्हें किसी _0' तरह की चिन्ता या सेहनत नहीं करनी पडती थी । सत्र तरफ़ सुगन्धित फूलों और स्वादिष्ट फलों से लदें हुए बृक्त थ। जगह- जगह स्वच्छ ओर शीतल जल के मरने बद्दा करते थे । सौसम सदा बहुत सुहावना रहता था । तब न बीमारी थी, न बुढापा था और न मृत्यु ही थी । उन वालका की शारीरिक दशा सदा एक- सो रहती थी ओर स्वेज्ञने-कृदने फे सिवाय उन्हें कोई काम न था। एक दिल एक विचित्र-सा आदसी इन बचों के पास एक सुनहरी सन्‍्दूक लेकर आया ओर कद्दने लगा कि मेरा यह सन्‍्दूक रफलो | परन्तु शर्ते यह है कि इसे कभी कोई गोले नहीं । बच्चो ने इस बात फो मन्‍्जूर कर लिया और वह आदमी सन्दृक रख फेर चला गया। का




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