कर्ण | karan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.04 MB
कुल पष्ठ :
150
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उपक्रम €
हो रहे हो * रगमच तो सबके लिए है, फाल्गुन, फिर मेने श्राज्ञा लेकर
अपने कृत्य दिखाये हे ।
[ पुन्ती कॉप उठती हू । युघिप्ठिर का मुख चिन्ताग्रस्त हो जाता
हैं। भीम रुग्घे पर की गदा सेंभातता है । दुर्योधन कर्ण का कर्घा थप-
थपाता है । प्रेस-गण प्रत्यघिक घ्राठुरता से दोनो; की श्रोर देखते हे । ]
फप--(भ्नाये दढकर) ठहरो, भर्जुन । (भ्रजुंन रुक जाता है।
णर्ण से) दीरवर, इन्द युद्ध के कु निश्चित नियम है । वह केवल बराबरी
बालों में हो सकता हैँ । श्र्जुन महाराजा पाडु और पृथा के तृतीय पुत्र
€ । उनका जन्म क्षत्रिय वर्ण के प्रस्यात कुरुवशा में हुआ है । तुम भ्रपने
माता-पिता का नाम बताश्रो । किस घर्ण में, किस वद्य में तुम्हारी उत्पत्ति
एरं हैं, यह कहो । इसके परचात् निर्णय हो सकेगा कि अर्जुन का श्र तुम्हारा
रद युद्ध हो सकता है या नही ।
पार्ण--(गर्द से) वर्ण श्रौर वन ! माता-पिता का नाम ' वर्णों
£ न ता इन्द होता है, या श्रजुन का और मेरा, श्राचार्य ? भेरी दृष्टि
से तो भाप भ्रजुन के वर्ण, वश श्रौर माता-पिता का विवरण कर, अर्जुन का
उत्टा अपगान कर रहे हैं । उन्हे गे होना चाहिए भ्रपना भ्रौर श्रपने पौरुप
त11 सम हो देवादीन हैं, भावाय, हें, पोर्प स्पय के आ्राघीन है । मुझे
थपने बूल यामल्गय देने वी ्रावय्यकता ही नहीं, वह मेरे हाथ में नहीं 1
का हास मे रे मेरा पौरुप, तथा मेरा पौरुप ही मेरा सच्चा परिचय है।
दि पण भ्गोर बरा को महत्त्व है, तो वह तो भूतकाल को महत्त्व देना हुभ्रा ।
र व मो महतत
जग मे यदि चपने प्य पीते दल कं है» ७
१५ वा यदि चपने धर्ते गेल का गयें है, तो मुझे हे चर्तमान एव भविष्य
सा । में धरना दर दवाऊंगा, भ
कं गुट मो बगरत अपना दर्ण वनाऊँगा । श्राचायं, भें
लिन कि के हर अमिद्ध भौर प्रतिप्ठित नहीं होना चाहता, मेरे
“ न २ रे दर यणस्यी होगे ।
( दर्प पी रना से रगशाला प्रा
हा नीला प्रतध्दसित उठतौ है देर
पे राटा सा हा प्रा के ऐ त्वरित हो उठती है। कुछ दे
लगा हूं |
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