हमारी नाट्य - साधना | Hamari Natya Sadhana
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
240
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about राजेन्द्रसिंह गौड़ - Rajendrasingh Gaud
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नाटक की मूल प्रदत्तियाँ श्रीर उनका मदर ६
उषे दमो यदी प्रतीत दोता दै कि दम वास्तविकता को देख रहे हैं |
श्रभ्यंकाव्यमें द्रुमो श्रादिका वणन श्रद्वा दोता दैःद्श्य
काव्य में श्रमिनय-दाण । इसीलिए दृश्य काव्य, श्रव्य काव्य की श्पेक्ता
दधिक श्रौए र्यायी प्रमाव उसने करने में सहायक होता है । भव्य
काव्य में केवल श्रवरोन्दिय को झ्ानन्द मिलता है, पर दृश्य काव्य में
भवसेन्दरिय क साय-ाय चद्ुरिन्दिय को मौ । चलुरिन्द्रिय का विषय रूप
है, इसलिए दृश्य काव्य को रूपक कदना युक्तिसगत ही है । ऐसी दशा
में इश्य काव्य रूपक का पर्याय हो जाता है, पर द्रव जो नाटक लिखे
जा रहे ई उनमें कविता के श्रमावं के साथ-षाय श्रभिल्यंजना मी काल्य
मय नहीं दोती । इसलिए. श्राघुनिक नाटकों को काव्य के द्रन्त्गत रथान
देमा उचित नहीं जान पड़ता ! घाधुनिक नाटक मुख्यतः गयमय दोते हैं |
इससे स्पष्ट है कि नाटक रौर काव्य) साहित्य के दो मिन्नभिन्न अंग
है शीर उनकी रूप- रेखा एवं उनकी श्रमिव्यंजना-रीली
नादकश्चीर कहीं भी एक-दूसरे से मेल नहीं खाती । पर इतनी
मद्दाकाप्य .. विभिन्नता देते हए मी यह तो मानना शे दोगा कि
दोनों सानव-बीवन की ब्याख्या करते हैं ्लौर दोनों का
विकास श्रन्तदर्द्र के चित्रण में दोता है । कयानफ की दृष्टि से नाटक
की तुलना मद्दाकाव्य से दो सकती है | मददाकाव्य का कयानक नाटक के
कथयानर की श्रपेक्षा रथिक विस्तृत होता दै ! महाकाव्य के कथानक के
गर्म में श्रनेक छोटी-छोटी माउंगिक कथाशों का समावेश रददतां हैं;
नाटकं के कथानक में एकमात्र उन्हीं मदस्वपूर्ण घटनाश्रों तथा परिस्थि-
दियों को श्रपनाना पड़वा है जिनके बिना कया का विकाप्ठ ही नहीं हो
सऊता । पेखी दशा में किसी मद्दाकाब्य के कथानक को बिना काटनछौर
के, नाटक के कथानक के रूप में परियत करना श्रत्यम्त कठिन है ।
महाकाब्य के विपयों की सीमा मी श्रपेज्ञाकत सीमित है। नायक इति-
दास, पुराण, लोकगाथा, समाज, शजनीति, नीति, _ मानव-दशन,
च्तेमान-समस्याएँ--इनमें से किसी से भी श्वपनी रचना के लिए सामग्री
User Reviews
No Reviews | Add Yours...