गोम्मटसार | Gommatsar

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Gommatsar  by पं. मनोहरलाल - Pt. Manoharlal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गोम्मरस्मरः } ९ ५५ इस गुणस्थानसे नरक, तियंगायुकी प्रथम व्युच्छिति भी होचुकी हे तथा इस युणस्थानमें किसी आ- युका बंध होता भी नहीं इसलिये बाकीकी दो आयु और भी घट जानेसे बंधयोग्य ७४ दी रहती हैं । ९४ गाधामें ६ तीसरे गुणस्थानमें जो बिना व्युच्छित्ति भी दो आयु बंघयोग्यताके अभाव होनेसे घटाई थीं वे दो तथा एक तीथकर इन तीनोंका बंध यहांसे होनेसे ३ संख्या ७४ में वढजाती है । ७ नं० ६०-८१ बाली दो प्रकृतियोंका यहां ही बंध दोनेसे दोकी संख्या ५७ में और वढ जाती है । ८ नं० १७-४४-४५-४९-७८-८७-१०८-५३-५४-५५-५६-१३२- १३ ३-१३५-१२४-११६ वाली सोलहोंकी यहां व्युच््छत्ति हे । ९५ गाधामे । ५ न° २०-२१-२२-२३-११-१२-१०-४२-४६-१४३-१३८-१३९-१४०-७४-.५-७६- ७७-८३-८४-८५-८ ६-११९-११७-५०-१०९ वीं सख्यावली पश्ीस ॒प्रकृतिर्योकी ब्युच्छिसति यह होती दै । ९६ गाथामें १० न° २४-२५-२६९-२०-४७-५१-५८-०९-८२-११० इन दशको यदं व्युच्छिति है । ९० गाथे ११ नं २८-२०-३०-३१ वी ये चार यहां ब्युच्छिन्न दोती है । ९७ गाथाम १२ न° १६-३८-३९-१२६-१३७-१४१ वीं छदोंकी यहां ब्युच्छित्ति है । ९८ गाथाम । १३ नं० ४८ वीं १ की यहां व्युच्छित्ति है । ९८ गाथामें । १४ नं० १३-१४-६९-३७-४ ०-४१-१३१-१३०-११८-५०-६१-६२-९०-८१-५.९-८०- ७३-५२-१११-१०० आदि-९ आदि-९३ आदि-८८ आदि-११२-११३-११४-११.५-१२०- १२१-१२२-१२३-१२४-१२५.-१२६-१२७-१२८ वाटी छक्तीसोकी ब्युच्छित्ति यहा होती है । ९९- १०० गाथाम । १५ न° २-३३-२३४-२५-४३ वाठी पांचोकी व्युच्छित्ति यहां हयती दै । १०१ गाथम । १६९ नं० १-२-३-४-+-६-७-८-९-१४२-१४४-१४५-१४६-१४५-१४८-१२९. वाली सोल. दशी ब्युच्छित्ति यहां होती दै । १०१ गाथाम । १७ नं° १५ वीं एक प्रकृति यहां ब्युच्छिन्न होती है । १०२ गाधामें । १८ न० १८-१९.-९ ०-८१-१३१ वारी पांचोंके उदयकी यहां योग्यता नहीं होनेसे १९९ मं घट जाती है। १९ प्रथम गुणस्थानमें पांचकी व्युच्छिति होनेसे तथा १०८ वीं की योग्यता न होनेसे यहां १११ का उदय है। २६३ गाधामें २० दूसरे गुणस्थानमें १११ का उदय था उनमेंसे ९ की वहां ही व्युच्छित्ति हो चुकी सो ९ के घ- टानेसे तथा यद्यपि किसी भी आनुपूर्वीका यहां उदय नहीं है परंतु नारकानुपूर्वीकी व्युच्छिति पूरवेमें हो- नेसे नहीं गिननेपर भी तीन आनुतूर्वीके घटानेसे ९९ रही । ९५९ में मिश्रका उदय होनेके कारण यहां ब- ढानेसे १०० का उदय होता है । २६३ गाथामें । २१ ने १०८-११०-१११ वीं चारों आनुपूर्वकी तथा १८ वीं १ की यहां योग्यता होनेसे “५ बढ़ा देनेपर १०४ का उदय होता है । २६३ गाथामें २९ नं० ६०-८१ वीं दोकी पहिले योग्यता नहीं थी किंतु यहां ही है इसलिये ८ घटनेपर भी दो बढानेसे ८१ का उदय रहता दे । २६३ गाथामें २३ उपयुक्त १६ व्युच्छिन्नोंको ५.७ मेंसे घटानेपर ४१ होनी चाहिये परंतु जो १०७ वाली पहिले यो- ग्यता न दोनेसे उदय संग्यामेंसे घटा दी थी उसकी यहां योग्यता होनेसे ४१ में बढादी जाती है । ९६३ गाथधामें ।




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