अनित्य भावना | Anity Bhavana
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
271
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
जैनोलॉजी में शोध करने के लिए आदर्श रूप से समर्पित एक महान व्यक्ति पं. जुगलकिशोर जैन मुख्तार “युगवीर” का जन्म सरसावा, जिला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। पंडित जुगल किशोर जैन मुख्तार जी के पिता का नाम श्री नाथूमल जैन “चौधरी” और माता का नाम श्रीमती भुई देवी जैन था। पं जुगल किशोर जैन मुख्तार जी की दादी का नाम रामीबाई जी जैन व दादा का नाम सुंदरलाल जी जैन था ।
इनकी दो पुत्रिया थी । जिनका नाम सन्मति जैन और विद्यावती जैन था।
पंडित जुगलकिशोर जैन “मुख्तार” जी जैन(अग्रवाल) परिवार में पैदा हुए थे। इनका जन्म मंगसीर शुक्ला 11, संवत 1934 (16 दिसम्बर 1877) में हुआ था।
इनको प्रारंभिक शिक्षा उर्दू और फारस
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)११
पहले ऊँचा चदकर दिनैकर, अपनो तेज भकार ।
उस ही दिन पुन नीचै उतरे, पतन आपनो भाते ॥
यहं निश्चय सत जान कोन है, मानुष वे जगमाहीं ।
पर्यायनके पलटत जिनके, उरमें शोक बसारीं १।२०॥
शशि सूरज अरु पवन खगादिक, नंभमें ही विचरे है ।
गाड़ी घोड़ा आदिक थल्चर, भूँपर गमन करें हैं ॥
मीनादिक जलमाहिं चलें, यम;-सवे ठौर विचरे है।
मुक्ति विना किस थान जीवके, वचेवो यतन सरे है ॥ ३१ ॥।
क्मेउदयके सन्मुख क्या है, देव देवता भाई? ।
वैद्य मंत्र ओषधि क्या कर है, मणिविद्या चतुराई ?॥
तैसे ही है मित्र वाऽन्य भू-पादि खोक जय माहीं।
ये सब मिलकर भी कंर्मोदय,--गरन समरथ नादी ॥३२॥
याति नयास्यति । स हि शोक ते कुर्वन् शोभते नेतर पुमान्॥२९॥
प्रथममुदयमु्ैदूरमरोहलक्ष्मी,-मनुमवति च पात सोऽपि देवो
दिनेशः । यदि किर दिनमध्ये तत्र केषा नराणा, वसति हृदि विषाद्
सत्स्ववस्थान्तरेषु ॥ ३० ॥ आकाड एव॒ शरिसूर्यमरुत्वगाद्या, भूपृषठ
एव शकटप्रमुखाश्वरन्ति । मीनादयश्च जल एव यमस्तु याति, स्वै
कुत्र भविना भवति प्रयत्न ॥ ३१॥ किं देव किमु देवता किमगदो
विद्यास्ति कि कि मणि , कि मत्र किसुताश्रयः किसु सुदत्कि वा
सगधोऽस्ति स । जन्ये वा किमु भूपतिप्रभृतय सन्त्यत्र खोकत्रये
यै सर्वैरपि देहिन स्वसमये कर्मोदित वार्यते ॥ ३२ ॥ गीवाणा
१ सूर्य। २ आकाश 1 ३ बचनेकी तदबीर चर सकती दै । ४ कर्मके उदयको,
टालनेके लिये ।
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