भगवान महावीर के जीवन का एक सुंदर अंश चिराग | Bhagawan Mahavir Ke Jeevan Ka Sunder Ansh Chirag
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
946 KB
कुल पष्ठ :
87
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ विराग
कलिकाश्चो का ल चुम्बन ,
किरणो ने सम्पुट खोले |
हो मारून से संस्पशित,
लतिकाश्रो कं दल डॉल ||
पनिहारिन शायी, घट ल-
जल भरने को पनघट मे ।
मुक भूक जब लगी इव्रोन ,
ॐ
वे रज्जु बोध कर घट मे॥
अवगुर्ठन तब हट जाने--
से स्वण हार यों. चमके |
ज्यो पावस ऋतु कं श्यामल ,
मेघो म यिन्त तमके ॥
आग बढ भान-किरण भी--
उनका मुख पङ्कज दूती ।
माना सरपुर से आयी,
व्रत किसी दरव की दृती॥
वह॒ कर्डनपुर कं विस्तृत ,
पथ पर इस भोति विचरत्ती |
काभिनियो कमली कलियो ,
प्रिसलय मेग क्रीडा करती ॥
श्रा पहुँची राज-भवन मे,
सुनती भ्रमरो का गाना)
अतएव माग के श्रम को,
उसने त अल्प भी जाना ॥।
--ढो -
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