ऐक गांव री गोमती | Ek Gaon Ri Gomati
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
84
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भगकजी
मगक्छजी
रमतियो
मगक्जी
रमत्तियो
मगक्जी
रमतियो
मगक्जी
रमत्तियो
भगछजी
रमतियों
मगछजी
'रमतियो
मगकजी
रमतियो
रमत्तियो
मगकजी
रमतियो
मगढजी
रमत्तियो
मगक्जी
रमत्तियो
पलो दरसाव
(दिन री वेका! मगक्जी आप्री बैठक मे वैठयो सन्दूकरी
मे राख्योडा गणा गाढा सभाकै कै बारै सू क्रोई रै आवण रो
खडको सुणीजै।)
(सन्दूकडी नै पूठी बद करता) लागै रमतियो आयग्यो दीसै।
(रमतियो माय आ जावै)
ऊदियों मिव्यो करनी ?
मिठग्यो।
कठै हो ?
घमजी रै अठै।
बारै अदै क्यू मरयो हो ?
थानै सायद ठाह कोनी । घमजी री लुगाई वी सू धरमेगे घत
राख्यो है।
बोफरकदसू?
होयग्या हौवैला दो-तीन मइना।
भठे।
अठे सू जणे-कणै भी बारे जावै समञ्यो वारे घरे हीज दू]
ईरोम्हनै नीं पतो। अवै कठैहैः
लारै बाडै मे गाया नीरै।
घमजी री घरआढी तो ब्होत तेज है| वीं कोई पाटी तो नीं पढ़ा
दीनैः?
पती नीं । आ त्तो जरूर सुर्णी कै बा बीं नै बीनणी लेवण वास्तै
सासरै जावण रो बार-बार कंय रैयी है। (मगठजी हसबा लागै)
हस्या कीकर ?
तो काई ऊदियो सासरै जासी आपरी बीनणी लेवण नै ?
क्यू ? बो ला नीं सकै काई ?
ले आयो ! सासरैआठ्ा छोरी नै भेजसी जद नी !
बानै भेजणै में काई दिक्कत है ?
दिक्कत ! वीं बावलै सागै आपरी छोरी नै भेजर काई वानै बीरी
जिदगी खराब करणी है ?
हा बात तो थारी सही है। बो लुगाई रै मामलै में तो सफ्फा डफोट्ठ
अक गाव री गोमती /15
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