पहली पंचवर्षीय योजना | 992 Pahli Panchvarsiya Yojana;1954

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६ तियं मेँ ही क्रिया जाता है। बचत श्रौर एँजी-निर्माण की रफ्तार को हमे उनके वतंमान स्तर से बहुत अधिक ऊँचा उठाना होगा । यह अनुमान लगाया गया है कि सन्‌ १४१० और सन्‌ १९४३१ में बचत, राष्ट्रीय झाम- दनी का केवल ‰ भ्रतिशत भाग रही । ज हम इसकी तुलना अमेरिका, जापान, श्रौर रूल से करते हें तो राष्ट्रीय झामदुनी मे दुद्धि की प्राप्ति के लिये इसे बहुत कम मानना पढ़ेगा। इसके अतिरिक्त एक ऐसी आबाढ़ी के लिये, जो १ २१ प्रतिशत प्रति वर्ष के हिसाब से बढ़ रही है, बचत को यह दूर प्रति व्यक्ति झामदूनी को स्थिर रखने के लिये ही यथेष्ट है। नितसन्देह यह एक मोटा अनुमान है और इसको शब्दुशः सही नहीं मानना चाहिये । फिर भी इसते यह स्पष्ट हो जाता है कि जहाँ तक प्रति- व्यक्ति राष्ट्रीय झामदनी का सवाल है, भारतीय झर्थ-ब्यवस्था अपेक्षाकृत बडी स्थिर है श्रौर यह संकेत मिल जाता है कि प्रति व्यक्ति आमदनी के दुगुना करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये कितने बडे प्रयत्न की जरूरत होगी । १२. योजना में यह झ्रनुमान छगाया गया है कि राष्ट्रीय झामदुनी, जो कि सच १९१०-११ में 8,००० करोड रुपये कूती गई थी, सन्‌, १४११-१६ तक १०,००० करोड रुपये हो जायगी और उक्त पांच वर्षों' में जो श्रतिरिक्त आमदनी बढ़ेगी उसमें से श्ति वर्ष २० प्रतिशत को लगाई गहं पंजी में रौर पूजी-निर्माण में जुड़ना चाहिये। इसका चरथं यह है कि पांच वर्षो के नन्त में लगाई गहै पूजीकी द्रबढकर राष्टरीय श्रामद्नी का ६.७९ प्रतिशत हो जायगी । न्य देशों के श्रनुभव के प्रकाश मे यह बात शायद अधिक श्राशाजनक प्रतीत न हो और नि सन्देह यदि हम केवल यही बात सोचे कि कया होना चाहिये, तो हमें इससे अधिक दद्धि की बात सोचनी होगी । लेकिन हमको तो यह भी ध्यान में रखना होगा कि वास्तव में व्यावहारिक बात क्या है । श्रौर यह बात ब्यावहारिक नहीं सालूम होती कि लोगों को बहुत अधिक कष्ट दिये बिना और सम्पूणं श्रथे-व्यवस्था पर खतरे की हद्‌ तक जोर डाले विना प्रथम पांच वर्षौमे पूंजी लगने की रफ्तार को और तेज्ञी से बढाया जा सकेगा । प्रस्तावित श्रत्प वृद्धि के लिये भी विशेष प्रयत्न करना होगा, और जेसा कि बाद मे दिखाया जायगा, यद्यपि इस बृद्धि को प्राप्त करने के लिये सुख्थ सहारा घरेलू बचत का जिया जायगा, फिर भी कं हद्‌ तक विदेशी पूजी की ओर भी देखना पढ़ेगा ! परन्तु बाद मे जेते-नैसे पंजी विनियोग




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