जैन - सिद्धान्त - भास्कर भाग - 16 | Jain - Siddhant - Bhaskar Bhag - 16

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तिप्ण- 1 सैन सादिस्य मे लका, रत्नद्वाप श्रोर सिंहल 3 में जिन राजाया के नाम हैं उनम कार नाम रलुसयश र सताझ्यों के झनुसार है या परों है मिश्र क प्राचीन राजाया मे रेमसम (रि8 ८8) गामफ्र राता का उल्लेय है श्रार फाइ दिद्वानू उनको सामचद्व ली से ग्रभिन पलति । सितुमिश्रया इतिहास देखते से सात होता है कि रेससेस प्रथम ने ईपपी सु स १४६० यों पे ले सगपिसर प्रात क्या । शत. मिश्रदंशीय रामसेय श्रयो पा परेश रामपद्ध सदी दा सकते । उनर पाम दी स्मूति में मिश्र के १६ ये सर्प पे शि साया का नाम रामम रक्ता गगर तना यमद] मिम्‌ मानया के शासनाधियारी दाने थे पहल श्रयान 3 ४ बंप इन पूप के पढच देयन्वश या रायाधियारी लिखा हं। «। सकता द ति पिपर दपा फालदय करय उश देव स्दलाया दो! रात्तखदरर्‌ धने ६ गेपुपाद्न को रालम द्वार था शाख उनाय। था। इन वश म॑स, शमि, मनस श्यादि नामर् राजा हृष्ट थे । उन नाप प्राय यूयते पर्ाययाची इते ये। वद्मपुरणः वितं पिवाषर रातां मगन शमाय फाल मे भी प ले पे हैं। उनके बरशर्जा में भातुरस सुद, मना 1९ आदि नामक राष्री फा उलन है| श ग्क्त हरि सूय (स्वभातुर््त) शहि (सुरेय), मनव (सनादाह) णक परित निदु इस द्ित्मेडुडुमो नियामक पतप नह| कातता सकता, नुयतक्‌ प्रि मित्र थे प्रोचोए देवरश का पूस फियर्ण शात ने दो। इनेनां साप्य दे हि सानयों से परे मिंभ मं दिया का शासन गाना लाता था ! पहने परिघ जेत का ताम मी किट (ष्टण) था। एक पुराने तमति मं परिस दैत में पिनिक, छिरीय शमिरीप, यादिलनीय, कालरीय, मिरीथ, पार्थीय श्रीर्‌ मारतीप यगि फ, मिलन श्रौर मिथ हदवा था, इस मिश्रण के फार्ण हो इस देश ये लागा या मिश्र कहने लग थे । इसमें परले यदद टेश “श्रागुम” श्रयात्‌ “सुरत्तित” रूप मे प्रस्यांत था | श्ागुम था ही श्पश्र रूप लिप है। इसनेश में सानय से श्राहि राता मेना (मनु) गय स्थापि करै कितने यायाय थे, लिसते यद देश सुरक्षित दो गया श्वीर झ्यागुस फइलाया । लय इस पर रैव लाया का शासा था, तय थर कया कइलाता था, इसका बुछु पता गई । दो सकता है, कय यह गण्यम्मेन (सर्य स्पार) पदलाता हमा, चैम दि यूनानो यनि द सारात्‌ लका प्री रास स्थान की रिधिति वा टीव पता लगाने क्लियग न श्रप्यया डी द्रायर्पप्ना द। जे भी लगा रही दो; यद थी एक सददाएं पगरी । लैस शाख्र उसे उतुग रातमइला श्रार मदतापिगग निनि मदिर से झलहउ पता हैं। लडा पे निनालय में शी शान्तिनाय ताथफर बैनमिष के रातदर्शो के परियय के लिय ' दिम्दा विरस्काप ! सा० ३७ पूल ६०३ पर मिस शाद दगगो 1 श--दिस्दी फिर झोप, साह ३७ पूल ३४१




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