शाहजहाँ | Shahajahan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
185
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ए
भक्ति रखनेवाली तेजस्विनी जदरतको, बदलालेनेवाटी ओर शाप देनेनाली
बनाकर नाव्येकारने इतिहासके साथ चरित्रके सामज्ञस्यकी रक्षा की है ।
औरंगजेबने जब अपने एक पुत्रके साथ जहरतके विवाहका प्रस्ताव
किया, तब जहरत अपने साथ एक छुरीकों दिनरात रखने लगी । चदद
कहती थी फ पितृघातीके पुत्रके साथ मेरा विवाह हो, इसके पहले
हीमे इस दुका अपनी छातीमें घुसेड देगी } जहानारा विदुषी, तीक्ष्ण
बुद्धिमती, ओर अङोकिकरूपवती छी थी 1 राजक, शेषजीवनका राजकार्यं
उसीके इारेसे सम्पादित होता था । उसने अपनी इच्छासे अपने बूढ़े पिता-
की श्रूषाकरे लिए उसके साथ कारागरमे रहना स्वीकार किया था। उसकी
इच्छानुसार उसकी समाधि खुले मैदानमे बनाई गई थी और वह पाषाण-
सौधसे नदी किन्तु हरित दर्वादकोसे आच्छादित की गई थी । इस इतिदासवि-
श्रुत् ल्रीके चरित्रका नाटयकारने जैसा चादिए वैसा ही चित्र अंकित किया
है । जहानारा मानो शाहजहांको विपत्तिमें बुद्धि और दु:खमें सान्त्वना
देनेके लिए, दारा और नादिराको कर्तव्य स्मरण करा देनेके छिए, औरंग-
जेबको उसके पापोंकी गंभीरता और आत्मप्रवश्चनाको अच्छी तरह साफ
साफ दिखला देनेके लिए वादशाहक्े अन्तःपुरमें आविर्भूत हुई थी । जहा-
नाराके चरित्रेके इस शश्र सौन्दर्यको यवाये रखकर द्विजेन्द्रलाल रायने नाटय-
कारके महत्त्वकी रक्षा की है ।
पियाराका चरित्र काल्पनिक है । झुजाके दूसरी पत्नी भी रही होगी; परन्तु वह
कोई इतिहासप्रसिद्ध व्यक्ति नहीं हे और झुजाकी जो पत्नी ईराणके राजाकी कन्या
थी वही यह पियारा है, इसका नाटकमे कोई उल्लेख नही है । अतएव पियाराके
न्वरित्रको इच्छानुरूप चित्रित करनेसें कोई बाधा नहीं है । कविने उसे अपने
मनके अनुसार ही गढ़ा है । पियारा परिददासरसिका और पतिप्राणा ख्ीका एक
अपूर्व चित्र है । वह हँसी मजाककी फब्वारा और विमलानन्दकी स्फटिक धारा
है। बह पतिकी विपदामें सहायक, उलझनमें मंत्री और वीरतामें बल बन जाती है ।
बड़े भारी दुर्दिनोंमें भी वदद छायाके समान पत्तिके साथ रहनेवाली और युद्धमें
भी-यमराजके निमंत्रणमें भी पतिके साथ जानिवाली है । पियाराकी हास्य-
प्रियता एक प्रकारकी कर्णकथा है । उसके ‹ मुखम दसी ओर अंखिंमें
जल दै । स्वामीकी आसन्न विपत्तिकी चिन्तामे उसका हृदय रुघिराक्त दो जाता
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