शाहजहाँ | Shahajahan

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Shahajahan  by पं रूपनारायण पांडेय - Pt Roopnarayan Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ए भक्ति रखनेवाली तेजस्विनी जदरतको, बदलालेनेवाटी ओर शाप देनेनाली बनाकर नाव्येकारने इतिहासके साथ चरित्रके सामज्ञस्यकी रक्षा की है । औरंगजेबने जब अपने एक पुत्रके साथ जहरतके विवाहका प्रस्ताव किया, तब जहरत अपने साथ एक छुरीकों दिनरात रखने लगी । चदद कहती थी फ पितृघातीके पुत्रके साथ मेरा विवाह हो, इसके पहले हीमे इस दुका अपनी छातीमें घुसेड देगी } जहानारा विदुषी, तीक्ष्ण बुद्धिमती, ओर अङोकिकरूपवती छी थी 1 राजक, शेषजीवनका राजकार्यं उसीके इारेसे सम्पादित होता था । उसने अपनी इच्छासे अपने बूढ़े पिता- की श्रूषाकरे लिए उसके साथ कारागरमे रहना स्वीकार किया था। उसकी इच्छानुसार उसकी समाधि खुले मैदानमे बनाई गई थी और वह पाषाण- सौधसे नदी किन्तु हरित दर्वादकोसे आच्छादित की गई थी । इस इतिदासवि- श्रुत्‌ ल्रीके चरित्रका नाटयकारने जैसा चादिए वैसा ही चित्र अंकित किया है । जहानारा मानो शाहजहांको विपत्तिमें बुद्धि और दु:खमें सान्त्वना देनेके लिए, दारा और नादिराको कर्तव्य स्मरण करा देनेके छिए, औरंग- जेबको उसके पापोंकी गंभीरता और आत्मप्रवश्चनाको अच्छी तरह साफ साफ दिखला देनेके लिए वादशाहक्े अन्तःपुरमें आविर्भूत हुई थी । जहा- नाराके चरित्रेके इस शश्र सौन्दर्यको यवाये रखकर द्विजेन्द्रलाल रायने नाटय- कारके महत्त्वकी रक्षा की है । पियाराका चरित्र काल्पनिक है । झुजाके दूसरी पत्नी भी रही होगी; परन्तु वह कोई इतिहासप्रसिद्ध व्यक्ति नहीं हे और झुजाकी जो पत्नी ईराणके राजाकी कन्या थी वही यह पियारा है, इसका नाटकमे कोई उल्लेख नही है । अतएव पियाराके न्वरित्रको इच्छानुरूप चित्रित करनेसें कोई बाधा नहीं है । कविने उसे अपने मनके अनुसार ही गढ़ा है । पियारा परिददासरसिका और पतिप्राणा ख्ीका एक अपूर्व चित्र है । वह हँसी मजाककी फब्वारा और विमलानन्दकी स्फटिक धारा है। बह पतिकी विपदामें सहायक, उलझनमें मंत्री और वीरतामें बल बन जाती है । बड़े भारी दुर्दिनोंमें भी वदद छायाके समान पत्तिके साथ रहनेवाली और युद्धमें भी-यमराजके निमंत्रणमें भी पतिके साथ जानिवाली है । पियाराकी हास्य- प्रियता एक प्रकारकी कर्णकथा है । उसके ‹ मुखम दसी ओर अंखिंमें जल दै । स्वामीकी आसन्न विपत्तिकी चिन्तामे उसका हृदय रुघिराक्त दो जाता




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